नयी दिल्ली 10 जनवरी (वार्ता) सेना में कटौती के चीन के निर्णय का अनुसरण करते हुए रक्षा मंत्रालय की एक समिति ने थल सेना के अमले में भारी कटौती की सिफारिश की है जिसमें बेवजह के खर्चों को कम कर कुछ सैन्य संस्थाओं को बंद करने तथा कुछ अन्य का आकार छोटा करने की बात कही गयी है जिससे सेना को चुस्त-दुरूस्त और कुशल बनाया जा सके। रक्षा मंत्रालय ने लेफ्टीनेंट जनरल डी बी शेकतकर की अध्यक्षता में गठित समिति को सशस्त्र सेनाओं के विभिन्न अंगों के काम काज की विस्तार से समीक्षा की जिम्मेदारी दी गयी थी। समिति को सेना की युद्ध क्षमता तथा कौशल बढ़ाने के उपाय सुझाने को भी कहा गया था। सूत्रों के अनुसार समिति ने पिछले महीने के अंत में रक्षा मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। यदि समिति की सभी सिफारिशों को पूरी तरह लागू किया जाता है तो इससे अगले पांच वर्षों में 25 से 30 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। उल्लेखनीय है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना में बिना जरूरत की संस्थाओं को बंद कर भारी भरकम कटौती की घोषणा की थी। समिति ने साथ ही यह भी सिफारिश की है कि कटौती के कारण होने वाली बचत का उपयोग सेना की क्षमता बढाने में की जानी चाहिए। समिति ने रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाली गैर लड़ाकू संस्थाओं जैसे रक्षा संपदा , रक्षा लेखा विभाग , डीजी क्यू ए , आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड , रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और राष्ट्रीय कैडेट कोर के कामकाज की समीक्षा की भी सिफारिश की है। तीनों सेनाओं में समन्वय के मुद्दे पर शेकतकर समिति ने मध्यम श्रेणी के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए संयुक्त सेवा युद्ध कालेज की स्थापना की जरूरत बतायी है। अभी सेना , वायु सेना और नौसेना के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए तीन अलग अलग युद्ध कालेज हैं। समिति ने यह भी कहा है कि पुणे स्थित सैन्य खुफिया स्कूल को तीनों सेनाओं के खुफिया प्रशिक्षण केन्द्र की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र सेनाओं के बीच समन्वय के लिए एक नोडल केन्द्र बनाने पर भी जोर दिया है। इसके लिए चीफ आफ डिफेंस स्टाफ या परमानेंट चेयमैन चीफ आफ स्टाफ कमेटी को यह भूमिका निभाने के लिए कहा गया है। संजीव.श्रवण वार्ता