राज्य » राजस्थानPosted at: Oct 15 2021 8:43PM दशहरा पर जोधपुर में श्रीमाली ब्राह्मण समाज ने मनाया शोक
जोधपुर 15 अक्टूबर (वार्ता) असत्य पर सत्य एवं अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व जहां देश भर में रावण के पुतले का दहन कर बड़ा उत्साह के साथ मनाया गया वहीं राजस्थान के जोधपुर में श्रीमाली ब्राह्मण समाज ने आज रावण दहन नहीं किया और शोक मनाया।
जोधपुर के मण्डोर को रावण का ससुराल माना जाता हैं और गोधा गौत्र के ब्राह्मणों का कहना हैं कि वे रावण के वंशज हैं और जब रावण मंदोदरी से विवाह करने मंडोर आये तब ये ब्राह्मण उनकी बारात में आये थे और यहां रहकर बस गये। जोधपुर में गोधा ब्राह्मणों के सौ से अधिक परिवार हैं और यहां मेहरानगढ़ के तलहटी में रावण का मंदिर बना हुआ हैं जहां वे रावण की पूजा भी करते हैं। मंदोदरी का मंदिर भी बना हुआ है। ये लोग विजयादशमी पर रावण के पुतले का दहन नहीं करते और नहीं ही रावण का दहन होते उसे देखते हैं। इस दिन ये लोग शोक मनाते हैं। जब रावण दहन हो गया तब इसके बाद इन लोगों ने स्नान कर कपड़े बदले।
गोधा गोत्र के ब्राह्मणों ने रावण का मंदिर वर्ष 2008 में बनवाया और रावण प्रतिमा स्थापित की गई। मंदिर के पुजारी के अनुसार दशहरे पर रावण दहन के बाद उनके समाज के लोग स्नान कर यज्ञोपवीत बदलते हैं। मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। रावण भी शिव भक्त था, इसलिए शिव की भी विशेष आराधना होती है।
माना जाता हैं कि असुरों के राजा मयासुर ने हेमा नाम की एक अप्सरा को प्रसन्न करने के लिए जोधपुर के निकट मंडोर का निर्माण किया। मयासुर और हेमा की पुत्री का नाम मंदोदरी था और उसके विवाह के प्रस्ताव पर रावण ने उससे शादी की थी। मंडोर की पहाड़ी पर अभी भी एक स्थान को रावण की चंवरी कहा जाता हैं।
जोरा
वार्ता