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अध्यादेश के जरिये कानून बनाने हैं तो संसद को ताला लगा दें: न्यायाधीश ईसा

अध्यादेश के जरिये कानून बनाने हैं तो संसद को ताला लगा दें: न्यायाधीश ईसा

इस्लामाबाद, 24 सितम्बर (वार्ता) पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने अध्यादेश के जरिये कानून बनाने की आलोचना करते हुए कहा कि यह संसद के काम में दखल देना है।

खैबर पख्तूनख्वा में जंगल काटने से जुड़े एक मामले की मंगलवार को सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ईसा ने कहा, “यदि अध्यादेश के जरिये कानून लाना है तो संसद को ताला लगा दीजिए।” न्यायाधीश ईसा इस मामले की सुनवाई कर रही न्यायाधीश मुशीर आलम की अध्यक्षता वाली पीठ के सदस्य हैं ।

न्यायालय ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वन भूमि के टुकड़े का मालिक होने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश ईसा ने याचिकाकर्ता से कहा कि उसे भूमि पर दावा करने का अधिकार नहीं है और सरकार को इस मामले में पुर्नविचार याचिका दायर करनी चाहिए। उन्होंने न्यायालय में हाजिर हुए सरकार के प्रतिनिधि से कहा कि वर्ष 2013 में जारी आदेश को क्रियान्वित क्यों नहीं किया गया ।

न्यायाधीश ईसा ने कहा, “जंगलों का संरक्षण भविष्य की आने वाली पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि देश के शासक ‘अन्य मसलों’ में मशगूल हैं जबकि ‘वास्तविक मसला’ पर्यावरण के संरक्षण का है । उन्होंने कहा जंगलों से जुड़े एक महत्वपूर्ण कानून को अध्यादेश के माध्यम से क्यों बनाया गया।

मिश्रा, यामिनी

वार्ता

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