राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Oct 16 2021 7:46PM समाज सेवा को भी भजन मानता है सिद्धपीठ: भवानीनन्दन
गाजीपुर 16 अक्टूबर (वार्ता) सिद्धपीठ हथियाराम मठ में महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति ने कहा कि प्राचीन समय से सिद्धपीठ भज सेवायाम को मूल मंत्र मानते हुए समाज सेवा को भी भजन का ही स्वरूप मानता रहा है।
उन्होने कहा “ सिद्धपीठ के गुरुजनों के बताए मार्ग का अनुसरण करने वाला शिष्य समुदाय पाकर मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता हूं। ऐसे में इस पीठ के 26 में पीठाधीश्वर के रूप में विगत 26 वर्षों से परंपराओं का निर्वहन कर मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता हूँ। ”
श्री यति जी ने ‘भज सेवायाम’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रह्मलीन गुरुजी लोग प्राचीन समय से भज सेवायाम को मूल मंत्र मानते हुए समाज सेवा को भी भजन का ही स्वरूप मानते रहे। जिनके द्वारा स्थापित गुरुकुल शिक्षालय इंटर कॉलेज महाविद्यालय इत्यादि समाज सेवा का कार्य करते हैं वहीं सिद्धपीठ गाय, गंगा, गांव, संस्कृति, संस्कार व धर्म रक्षा के लिए कृत संकल्पित है। कर्म प्रधान पर विश्वास रखने वाले सिद्धपीठ के संत शांति व क्रांति दोनों को अपने अंदर समाहित रखते हैं। राष्ट्र रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ी तो संत समाज देश की सीमाओं पर भी सबसे आगे खड़ा नजर आएगा।
गुरुकृपा महत्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रावण वध के उपरांत जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम घर लौटे तन माता कौशल्या द्वारा उनके युद्ध के विषय में सवाल पूछे जाने पर भगवान राम ने कहा था कि मैंने कुछ नहीं किया यह सब गुरुजनों के आशीर्वाद से संभव हुआ है। सिद्धपीठ की अधिष्ठात्री देवी मृण्मई वृद्धम्बिका देवी (बुढ़िया माई) के प्रकाश से समूचा अध्यात्म जगत प्रकाशमान है। आज सिद्धपीठ हथियाराम मठ सनातन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात हो चुका है।
सं प्रदीप
वार्ता