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विदेशों तक पहुंची सिरसा के बासमती चावल की महक

विदेशों तक पहुंची सिरसा के बासमती चावल की महक

सिरसा,14सितंबर (वार्ता) हरियाणा के अंतिम छोर पर राजस्थान तथा पंजाब की सीमा से लगे सिरसा जिला के किसानों की हाड़तोड़ मेहनत से तैयार होने वाला बासमती चावल विदेशों में खूब महक बिखेर रहा है।

विदेशी बासमती चावल की डीपी 1402 वैरायटी के जायके के मुरीद हैं। उत्तर भारत में इस वैरायटी की सर्वाधिक पैदावार सिरसा में होती है।इस चावल की वैरायटी की अमरीका ,सऊदी अरब,यूरोप,ईराक व ईरान में विशेष मांग रहती है। स्थानीय भाषा में मुच्छल धान कहे जाने वाले बासमती चावल की अबकी बार बम्पर पैदावार की संभावना है।

जिला में अबकी बार 80260 हैक्टेयर में धान की रोपाई है जिसमें 70 हजार हैक्टेयर बासमती व 10,260 हैक्टेयर में परमल वैरायटी की रोपाई है।पिछले कई बरसों से किसान चावल की अधिक पैदावार के लिए अंधाधुंध कीटनाशकों का उपयोग करने लगे थे जिससे यहां के बासमती से विदेशियों ने मुंह मोड़ लिया था।

विदेशों से मिली शिकायत के बाद ऑल इंडिया राईस एक्सपोर्टर एसोसिएशन ने इस पर संज्ञान लेते हुए कृषि विशेषज्ञों के सहयोग से सिरसा,रानियां व ऐलनाबाद में किसान जागरूकता शिविर आयोजित किए।

बासमती चावल के स्थानीय व्यापारी सतपाल मेहता ने बताया कि स्पेन की एब्रो इंडिया लिमिटेड ने किसान जागृति के लिए ऐलनाबाद क्षेत्र में 125 किसानों को तीन हजार एकड़ में प्रदर्शनी प्लांट भी लगवाया है जहां मोदीपुरम,मेरठ,दिल्ली व हिसार विश्विद्यालयों के कृषि विशेषज्ञों की राय के अनुसार चावल की फसल तैयार की जा रही है।

राईस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के प्रधान विजय सेतिया ने किसानों से आग्रह किया कि वे वजन की बजाय क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान दें।किसानों को कीटनाशकों का कम प्रयोग करने तथा कीटनाशकों का फसल तथा मानव जीवन पर दुषप्रभाव के बारे में भी जागरूक

किया गया।

कृषि विभाग के उप निदेशक बाबू लाल ने बताया कि इस बार मानसूनी बारिश कुछ कम हुई ।इसके बावजूद चावल की फसल अच्छी है तथा गत वर्षों की अपेक्षा पैदावार अधिक होने का अनुमान है।घग्गर नदी से निकले नालों से फसलों को मिल रहा बरसाती पानी भी चावल फसल के लिए उपयोगी साबित हो रहा है।

उन्होंने बताया कि अब तक फसल में कोई रोग नहीं है। इस इलाके को डार्क जोन घोषित होने से बासमती चावल की पैदावार पर संकट के बादल हैं ।धान की अधिकाधिक पैदावार लेने के चक्कर में भूजल का इस कदर दोहन किया जा चुका है कि राज्य सरकार ने सिरसा के रानियां क्षेत्र को डार्क जोन घोषित कर दिया है।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने भूमिगत जल दोहन की रिपोर्ट राज्य सरकार को दी थी। डार्क जोन घोषित होने के साथ ही बिजली वितरण निगम ने किसानों को टयूबवैल के लिए नये बिजली कनैक्शन देने पर प्रतिबंध लगा दिया है। किसानों ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री की ‘जीये जवान,जीये किसान’ रैली के दौरान डार्क जोन समाप्त करने की पुरजोर मांग भी की थी।

सरकार का किसानों को तर्क है कि वे ज्यादा पानी से तैयार होने वाले बासमती की बजाय 1509 व 1121 परमल वैरायटी रोपें ताकि कम पानी में फसल पककर तैयार हो सके।

सं शर्मा विक्रम

वार्ता

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