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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


छठी के छात्र के सीडोग्राफर को ‘इंस्पायर’ में गोल्ड मेडल

छठी के छात्र के सीडोग्राफर को ‘इंस्पायर’ में गोल्ड मेडल

नयी दिल्ली 11 दिसंबर (वार्ता) दिल्ली के राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला में 07 दिसंबर से चल रहे इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल का आज यहाँ समापन हो गया। इस दौरान नन्हें आविष्कारकों के लिए आयोजित ‘इंस्पायर’ प्रतियोगिता में छठी कक्षा कर्नाटक के छात्र राकेश कृष्णा को बीजों की बुवाई के लिए बनायी गयी उसकी मशीन के लिए गोल्ड मेडल दिया गया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने पुरस्कार विजेता बच्चों को सम्मानित किया। स्वर्ण, रजत तथा काँस्य पदक जीतने वाले तीन श्रेष्ठ मॉडलों के लिए आविष्कारकों को प्रशस्ति पत्र के अलावा एक-एक लैपटॉप भी दिया गया। खास बात यह है कि तीन में से दो पुरस्कार बुवाई तथा सिंचाई की सरल तकनीक विकसित करने के लिए दिये गये। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पहले दो साल फेस्टीवल का दिल्ली में आयोजन करने के बाद अगले साल इसका आयोजन राष्ट्रीय राजधानी से बाहर किया जायेगा। कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ा जिले के छठवीं के छात्र राकेश कृष्णा का सीडोग्राफर इतना हल्का है कि इसे हाथ से खींचा जा सकता है। इसके कीप में बीज भरकर मशीन को खींचने से एक-एक कर बराबर दूरी पर अपने-अाप बीजों की बुवाई होती जायेगी। इसके अलावा इसमें बुवाई के समय ही पानी डालने के लिए पानी की छोटी सी टंकी भी लगी है। इससे एक पाइप के जरिये पानी गिरता है जिसकी रफ्तार एक वाल्व द्वारा नियंत्रित की जा सकती है। राकेश कृष्णा ने बताया कि आम तौर पर हाथों से एक हेक्टेयर में बुवाई में 90 घंटे का समय लगता है, लेकिन इस सीडोग्राफर से सिर्फ 24 घंटे में यह काम पूरा हो जाता है। उसने बताया कि पिछले खरीफ मौसम में उसने अपने खेतों में इसी मशीन से बुवाई की थी। पुरस्कार समारोह में राकेश के साथ उसके माता-पिता भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि उन्हें उनके बेटे पर गर्व है। दूसरा पुरस्कार राजस्थान के कोटा के आठवीं कक्षा के छात्र शिबाज्योति चौधरी को दिया गया। उसने एलपीजी स्टोव के ऊपर ताँबे का कुंडलीकार तार लगाया है। खाना पकाने के दौरान यह ऊष्मा का अवशोषण करता रहता है तथा चूल्हा बंद करने के बाद ऊष्मा क्षेपित करता है जिसका उपयोग पानी या दूध गर्म करने जैसे छोटे मोटे कामों के लिए किया जा सकता है। तीसरा पुरस्कार महाराष्ट्र के कोल्हापुर के सचिंदर यादव काे मिला। उसने ‘खेती मित्र’ नाम से बुवाई तथा सिंचाई की बेहरत एवं सरल तकनीक का प्रदर्शन किया था। इसके अलावा 57 अन्य मॉडलों के भी उनके आविष्कारकों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। पुरस्कार विजेता मॉडलों के साथ इन्हें भी राष्ट्रपति भवन में होने वाले वार्षिक नवाचार मेले में प्रदर्शन के लिए रखा जायेगा। डॉ. हर्षवर्द्धन ने बच्चों का उत्साह बढ़ाते हुये कहा कि भविष्य उन्हीं के हाथ में है। उन्होंने बच्चों से साइंस फेस्ट के दौरान परिसर में प्रदर्शित वैज्ञानिकों की जीवनी तथा उनके कथनों से प्रेरणा लेकर अपना सपना पूरा करने की अपील की। बच्चों के अलावा कॉलेजों के छात्रों तथा काम कर रहे युवा वैज्ञानिकों और विज्ञान आधारित फिल्मों को भी विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत किया गया। अजीत जितेन्द्र वार्ता

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