इंदौर, 28 फरवरी (वार्ता) पहले दो टेस्ट मैचों में करारी शिकस्त मिलने के बाद ऑस्ट्रेलिया को स्टीव स्मिथ की अगुवाई में बुधवार से शुरू होने वाले बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे टेस्ट में चमत्कारिक वापसी की उम्मीद होगी।
दिल्ली में खेले गये दूसरे टेस्ट के बाद ऑस्ट्रेलियाई खेमे में बहुत कुछ बदल चुका है। कप्तान पैट कमिंस मां की बीमारी के कारण अपने घर सिडनी लौट गये हैं। डेविड वॉर्नर कोहनी में हेयरलाइन फ्रैक्चर के कारण सीरीज से बाहर हो गये हैं, जबकि एश्टन आगर को भी घर लौटा दिया गया है। करीब एक हफ्ते बाद तीसरे टेस्ट के लिये उतरते हुए ऑस्ट्रेलिया को नागुपर एवं दिल्ली टेस्ट की निराशा को पीछे छोड़कर नयी शुरुआत करनी होगी।
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह होगी कि वह रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा की जोड़ी के आगे अपने हौसले पस्त न होने दें और अपने डिफेंस पर भरोसा रखें। नागपुर टेस्ट में जहां कंगारू बल्लेबाजों ने आवश्यकता से अधिक कदमों का इस्तेमाल किया, वहीं दिल्ली टेस्ट में वे बेवजह स्वीप शॉट का इस्तेमाल करते नज़र आये। दोनों मौकों पर नतीजा एक सा ही रहा और दूसरी पारी में पूरी टीम ताश के पत्तों की तरह बिखर गयी। ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज इयन चैपल के शब्दों में, कंगारू बल्लेबाज रोहित शर्मा को देखकर भी भारतीय पिचों पर खेलने का तरीका सीख सकते हैं। उन्हें अपने डिफेंस पर भरोसा करने के अलावा दिल से झिझक निकालकर अच्छे फुटवर्क का प्रदर्शन भी करना होगा।
वॉर्नर की जगह दिल्ली टेस्ट की दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया के लिये ओपनिंग करने वाले ट्रैविस हेड ने 43 रन बनाकर बेहतरीन धैर्य और आक्रामकता के बेहतरीन मिश्रण का प्रदर्शन किया था। वह होल्कर स्टेडियम पर भी अपनी उस लय को बरकरार रखना चाहेंगे। दिल्ली में शतक से चूकने वाले उस्मान ख्वाजा को अपनी तकनीक के दम पर भारत में अंतत: टेस्ट सैकड़ा जमाने की उम्मीद होगी। ऑस्ट्रेलियाई प्रशंसकों की निगाहें मुख्यत: मार्नस लाबुशेन और स्टीव स्मिथ पर टिकी होंगी। यह दोनों बल्लेबाज लंबे समय से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की रीढ़ की हड्डी रहे हैं, हालांकि भारत दौरे पर दोनों में से कोई भी पचास का आंकड़ा नहीं छू सका है। साल 2013 और 2017 में भारत आ चुके स्मिथ इस समूह के सबसे अनुभवी बल्लेबाज हैं और अब कप्तानी की जिम्मेदारी मिलने पर उन्हें इस अनुभव से बल्लेबाजी की अगुवाई भी करनी होगी।
ऑस्ट्रेलिया के पास अब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने की संभावना तो नहीं बची है, हालांकि सबसे अच्छी सूरत में वह अब चार मैचों की सीरीज ड्रॉ करवा सकता है। हरफनमौला कैमरन ग्रीन और तेज़ गेंदबाज़ मिचेल स्टार्क के फिट होने से उसकी ऐसा कर पाने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
भारत के ऊपरी क्रम को भी इंदौर में अपनी क्षमता साबित करनी होगी। दिल्ली टेस्ट की पहली पारी में एक समय पर भारत का स्कोर 139/7 था, जिसके बाद अक्षर पटेल और अश्विन ने शतकीय साझेदारी करके टीम को बचाया। भारतीय बल्लेबाजी में यह प्रवृत्ति अब काफी समय से चली आ रही कि ऊपरी क्रम की असफलता का बोझ निचले क्रम को उठाना होता है। ऋषभ पंत के टीम में न होने से टीम को संभालने की जिम्मेदारी लगभग हरफनमौलाओं पर ही आ गयी है। लगातार निराशाजनक प्रदर्शन के बाद केएल राहुल शायद तीसरे टेस्ट में भारत के लिये न खेलें, हालांकि विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा को दमखम दिखाना होगा। युवा प्रतिभावान बल्लेबाज शुभमन गिल मौका मिलने पर इसका पूरा-पूरा फायदा उठाना चाहेंगे।
होल्कर स्टेडियम पर विराट कोहली का टेस्ट रिकॉर्ड भी दर्शनीय है। उन्होंने न्यूजीलैंड के विरुद्ध 2016 में यहां खेले गये टेस्ट में दोहरा शतक जड़ा था। टी20 और एकदिवसीय क्रिकेट में पुरानी जैसी लय हासिल कर चुके कोहली होल्कर स्टेडियम पर अपने रिकॉर्ड को बेहतर करते हुए टेस्ट क्रिकेट में भी रंग में लौटना चाहेंगे।
इंदौर में खेले गये दोनों टेस्ट मैचों में के पहले दो दिनों में तेज गेंदबाजों के लिये कुछ मदद देखने को मिली हो। हालांकि बुधवार की सुबह पिच स्पिनरों के लिये मददगार होने की उम्मीद है। घरेलू परिस्थितियों में टर्निंग पिच बनाने की योजना भारत के लिये पिछले 11 सालों में भारत के लिये कारगर साबित हुई है और उसके पास इसे बदलने का कोई कारण नहीं
है।
शादाब.श्रवण
वार्ता