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सौर ऊर्जा बिजली की जरुरतों को पूरा करने का बड़ा माध्यम - मोदी

सौर ऊर्जा बिजली की जरुरतों को पूरा करने का बड़ा माध्यम - मोदी

भोपाल, 10 जुलाई (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि सौर ऊर्जा बिजली की जरुरतों को पूरा करने के लिए इक्कीसवीं सदी का सबसे बड़ा माध्यम है और भारत इस दिशा में भी आगे बढ़ रहा है।

श्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मध्यप्रदेश के रीवा जिले में स्थापित 750 मेगावाट की क्षमता वाली रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना राष्ट्र काे समर्पित की। यह एशिया की सौर ऊर्जा से संबंधित सबसे बड़ी परियोजना है और इसके माध्यम से दिल्ली मेट्रो रेल परियोजना को भी बिजली दी जा रही है। इस कार्यक्रम में लखनऊ से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, भोपाल से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, दिल्ली से केंद्रीय मंत्री आर के सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर और थावरचंद गेहलोत और रीवा से पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रसाद शुक्ल और अन्य जनप्रतिनिधि शामिल हुए।

श्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि सौर ऊर्जा के मामले में भारत विश्व के पांच श्रेष्ठ राष्ट्रों में शामिल हो गया है। सौर ऊर्जा इक्कीसवी सदी का बड़ा माध्यम है। सूर्य के सदैव रहने से सौर ऊर्जा हमेशा उपलब्ध रहने वाली, पर्यावरण के अनुकूल और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

श्री मोदी ने कहा कि देश को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग आवश्यक है। सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है। सौर ऊर्जा का उपयोग भी इस दिशा में एक कदम है। इन दिनों पूरी दुनियां जहां आर्थिक या पर्यावरण के पक्ष पर ध्यान दे रही है, वहीं भारत दोनों पक्षों काे एक दूसरे का पूरक मानते हुए आगे बढ़ रहा है।

लगभग 25 मिनट के संबोधन में श्री मोदी ने कहा कि मध्यप्रदेश के रीवा अंचल की पहचान कभी सफेद शेर से हुआ करती थी, लेकिन अब सौर ऊर्जा से संबंधित एशिया की सबसे बड़ी इस परियोजना के कारण इस अंचल की पहचान होगी। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य के शाजापुर, नीमच, छतरपुर और ओंकारेश्वर में भी कार्य चल रहा है। सौर ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित क्षेत्र में किसान, गरीब और अन्य लोगों के आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी।

श्री मोदी ने सौर ऊर्जा को सूर्य उपासना के भारतीय दर्शन से जोड़ते हुए कहा कि यह हमारी परंपरा है और इसकी पवित्रता और निरंतरता को सभी महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के तहत सरकार का प्रयास है कि सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना संबंधी सभी उपकरण देश में ही बनें। इन उपकरणों के लिए आयात की निर्भरता समाप्त करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने किसानों से भी अनुरोध किया कि वे बंजर और अनुपयोगी भूमि पर सौर ऊर्जा के जरिए बिजली उत्पादन के कार्य को अपनाएं।



श्री मोदी ने ऊर्जा संरक्षण की दिशा में देश में हुए कार्याें का जिक्र करते हुए कहा कि छह वर्षों में देश में 36 करोड़ एलईडी बल्व वितरित किए गए हैं। एक करोड़ से ज्यादा एलईडी बल्व स्ट्रीट लाइट के रूप में उपयोग किए जा रहे हैं। यह सुनने में सामान्य लगता है, लेकिन इसके माध्यम से छह सौ अरब यूनिट बिजली की बचत की जा रही है। प्रत्येक वर्ष 24 हजार करोड़ रुपयों की बचत आम लोगों को हो रही है।

उन्होंने बताया कि एलईडी बल्व के उपयोग से लगभग साढे चार करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड कम उत्सर्जित हो रही है। हमारी प्राथमिकता आम लोगों का जीवन सुविधाजनक बनाने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के हित में कार्य हों, भी है।

उन्होंने मध्यप्रदेश में इस वर्ष गेंहू का रिकार्ड उत्पादन होने और सरकार द्वारा रिकार्ड मात्रा में गेंहू खरीदने का जिक्र करते हुए कहा कि यह यहां की सरकार और किसानों की मेहनत के कारण संभव हो सका है। 'कोरोना काल' में यह सब उपलब्धि हासिल करना किसानों और सरकार की इच्छाशक्ति के कारण संभव हो सका है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इसी तरह सरकार और किसान मिलकर कुसुम योजना के तहत बिजली उत्पादन की दिशा में भी बेहतर कार्य करेंगे।

श्री मोदी ने अपने भाषण के अंत में एक बार फिर सबसे अनुरोध किया कि वे अपने घर से बाहर निकलने पर दो गज की दूरी बनाए रखें। फेस मॉस्क अवश्य लगाएं। कहीं भी थूकें नहीं और कम से कम 20 सैकंड तक साबुन से हाथों को बहुत अच्छी तरह से धोएं। इसके अलावा सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इन कार्यों को अपनाने के साथ ही बार बार लोगों को यह बातें अपनाने के लिए प्रेरित करें।

प्रशांत

वार्ता

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