पटना, 09 मई (वार्ता) भारत की मशहूर क्लासिकल डांसर ,पद्मभूषण, पद्मविभूषण और राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह, समाजवादी आंदोलन के शिखर पुरुष रहे मधु लिमये की आवाज को फ़ॉग हॉर्न कहा करती थी।
मधु लिमये को कला और संगीत की भी गहरी समझ थी। उनके पास भीमसेन जोशी, कुमार गंधर्व, मलिकार्जुन मंसूर, डागर बंधु, जितेंद्र अभिषेकी, गंगूबाई हंगल, यामिनी कृष्णमूर्ति,सोनल मानसिंह, उमा शर्मा जैसे अनेकों कलाकार संगीत की बारीकियों पर चर्चा करने के लिए आया करते थे। उनके पास । पुराने किस्म का एक टेप रिकॉर्डर था। आनंद की हिलोरें लेने के लिए वे अपने मनपसंद कैसेट को लगाकर शास्त्रीय संगीत सुनते थे। मधु लिमये संगीत की बारीकियां भी समझते थे। श्री लिमये की रुचियों की रेंज बहुत विस्तृत हुआ करती थी। 'महाभारत' पर तो उनको अधिकार-सा था। संस्कृत भाषा और भारतीय बोलियों के वो बहुत जानकार थे। संगीत और नृत्य की बारीकियों को भी वो बख़ूबी समझते थे।
जानी-मानी नृत्यांगना सोनल मानसिंह मधु लिमये की नज़दीकी दोस्त हुआ करती थीं। सोनल सिंह ने बताया था, एक बार जब वह मधु लिमये के घर पहुंची तो उस समय घाघरा और टी शर्ट पहने हुए थी। मुझे देखते ही मधु लिमये ने 'शाकुंतलम' से श्लोक पढ़ना शुरू कर दिया और बोले कि तुम एकदम शकुंतला जैसी लग रही हो। जब भी मैं उन्हें फ़ोन करती तो उनकी पत्नी चंपा फ़ोन उठातीं और हंसते हुए उनसे कहतीं, 'लो तुम्हारी गर्लफ़्रेंड का फ़ोन है।
सोनल मानसिंह ने बताया था,बात उस समय की है जब वह अपना घर बनवा रही थी। एक दिन वह मधु लिमये के घर गई, जब चलने लगी तो उन्होंने एक लिफ़ाफा मेरे हाथ में रख दिया और कहा कि घर जा कर खोलना। घर आकर जब मैंने लिफ़ाफ़ा खोला तो उसमें 5001 रुपये थे। मेरी आँखों में आंसू आ गये।मैंने उन्हें फ़ोन किया तो बोले किताब की रायल्टी से ये पैसे आए हैं। ये मेरा छोटा-सा कांट्रीब्यूशन है तुम्हारे घर के बनने में। मधुजी की आवाज़ बहुत भारी थी। बिल्कुल ऐसी जैसे कोहरे में चलने वाले शिप के हॉर्न की आवाज़। इसलिए मैं उनकी आवाज़ को फ़ॉग हॉर्न कहा करती थी।
मधु लिमये ने बिहार में अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत मुंगेर संसदीय क्षेत्र से की थी। मधु लिमये वर्ष 1963 उपचुनाव और वर्ष 1967 आम चुनाव में मुंगेर के सांसद बने थे। मुंगेर संसदीय सीट पर बिहार में चौथे चरण के तहत 13 मई को चुनाव है।
प्रेम सूरज
वार्ता