(जन्म दिवस 30 जुलाई )
मुंबई 29 जुलाई (वार्ता) स्टेज शो से अपने करियर की शुरूआत करके सफलता की बुलंदियों तक पहुंचने वाले हिन्दी सिनेमा के सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक सोनू निगम अपने गानों से आज भी श्रोताओं के दिलों पर राज कर रहे है।
सोनू निगम का जन्म हरियाणा के फरीदाबाद शहर में 30 जुलाई 1973 को हुआ। उनके पिता माता-पिता गायक थे। बचपन से ही सोनू निगम का रूझान संगीत की ओर था और वह भी अपने माता-पिता की तरह गायक बनना चाहते थे। इस दिशा में शुरूआत करते हुए उन्होने अपने पिता के साथ महज तीन वर्ष की उम्र से स्टेज कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।
सोनू निगम 19 वर्ष की उम्र में पार्श्वगायक बनने का सपना लेकर अपने पिता के साथ मुंबई आ गये। यहां उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन यापन के लिये वह स्टेज पर मोहम्मद रफी के गाये गानों के कार्यक्रम पेश किया करते थे। इसी दौरान प्रसिद्ध कंपनी टी-सीरीज ने उनकी प्रतिभा को पहचान उनके गाये गानो का एलबम “रफी की यादें” निकाला ।
उन्होंने पार्श्वगायक के रूप में अपने सिने करियर की शुरूआत फिल्म “जनम” से की लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म प्रदर्शित नही हो सकी। लगभग पांच वर्ष तक वह मुंबई में पार्श्वगायक बनने के लिये संघर्ष करने लगे। आश्वासन तो सभी देते लेकिन उन्हें काम करने का अवसर कोई नही देता था। इस बीच सोनू निगम ने बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में पार्श्वगायन किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।
सोनू निगम के करियर के लिये 1995 अहम वर्ष साबित हुआ और उन्हें छोटे पर्दे पर कार्यक्रम “सारेगामा” में होस्ट के रूप में काम करने का अवसर मिला। इस कार्यक्रम से मिली लोकप्रियता के बाद वह कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। इस बीच उनकी मुलाकात टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार से हुयी जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान करके अपनी फिल्म “बेवफा सनम” में पार्श्वगायक के रूप में काम करने का मौका दिया ।
इस फिल्म में उनके गाये गीत “अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का” उन दिनों श्रोताओं के बीच क्रेज बन गया। फिल्म और गीत की सफलता के बाद वह पार्श्वगायक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। बेवफा सनम की सफलता के बाद उनको कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये। जिनमें दिल से, सोल्जर, आ अब लौट चलें, सरफरोश, हसीना मान जायेगी और ताल जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल थी। इन फिल्मों की सफलता के बाद उन्होंने सफलता की नयी बुलंदियों को छुआ और एक से बढ़कर एक गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुंग्ध कर दिया ।
सोनू निगम वर्ष 1997 में अनु मलिक के संगीत निर्देशन में बार्डर फिल्म में पार्श्वगायन करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उन्होंने “संदेशे आते हैं” गीत के जरिये अपने ऊपर लगे मोहम्मद रफी के क्लोन के ठप्पे को सदा के लिये मिटा दिया। वर्ष 1997 में ही उन्हें शाहरुख खान अभिनीत फिल्म “परदेस” में पार्श्वगायन करने का अवसर मिला। नदीम श्रवण के संगीत निर्देशन में उन्होंने “ये दिल दीवाना” गीत गाकर न सिर्फ अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दिया बल्कि युवाओं के बीच क्रेज भी बन गये।
सोनू निगम अब तक दो बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके है। सबसे पहले उन्हे 2002 में फिल्म साथिया के “साथिया” गाने के लिये सर्वश्रेष्ठ गायक का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इसके बाद 2003 में फिल्म कल हो ना हो के गीत “कल हो ना हो” के लिये भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के फिल्म फेयर पुरस्कार के साथ ही राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया।
आमिर खान और शाहरुख खान जैसे नामचीन नायकों की आवाज कहे जाने वाले सोनू निगम ने तीन दशक से भी ज्यादा लंबे करियर में लगभग 320 फिल्मों के लिये गीत गाये हैं। उन्होंने हिन्दी के अलावा उर्दू, अंगेजी, तमिल, बंगला, पंजाबी, मराठी, तेलुगू, भोजपुरी, कन्नड़, उड़िया और नेपाली फिल्मों के गीतों के लिये भी अपना स्वर दिया है।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी सोनू निगम ने कई फिल्मों में अभिनय भी किया है। उन्होनें प्यारा दुश्मन, कामचोर, उस्तादी उस्ताद से, बेताब, हमसे है जमाना और तकदीर जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया है और जानी दुश्मन एक अनोखी प्रेम कहानी, लव इन नेपाल तथा काश आप हमारे होते जैसी फिल्मों में भी बतौर अभिनेता के रूप में काम कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है ।
सोनू निगम पार्श्वगायन के अलावा सामाजिक उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाते रहे है और कई कल्याणकारी संगठनों से सदस्य के रूप में जुड़े हुए है। इनमें कैंसर रागियों, कुष्ठ रोगियों और अंधों के कल्याण के लिये चलायी जाने वाली संस्था खास तौर पर उल्लेखनीय है। इसके अलावा सोनू निगम ने कारगिल युद्ध, भूंकप से पीड़ित परिवारो और बच्चों के उत्थान के लिये चलायी जाने वाली संस्था ‘‘क्रेआन” में भी अपना सक्रिय योगदान दिया है।