खेलPosted at: Jun 20 2019 4:32PM मौके गंवाने की प्रेतबाधा से मुक्त नहीं हो पा रहा है द. अफ्रीका
बर्मिंघम, 20 जून (वार्ता) दक्षिण अफ्रीका को आईसीसी टूर्नामेंटों में निर्णायक मौकों पर लड़खड़ाने के लिए चोकर्स कहा जाता है लेकिन इस विश्वकप में टीम का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है।
दक्षिण अफ्रीका जैसी टीम से किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि वह विश्वकप के मंच पर इतना खराब प्रदर्शन करेगी। दक्षिण अफ्रीका को बुधवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा और इस हार के लिए दक्षिण अफ्रीका खुद जिम्मेदार है।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों ने कैच छोड़े, रन आउट छोड़ा, डीआरएस नहीं लिया और बाउंड्री पर खराब फील्डिंग की जिसका फायदा उठाकर न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियम्सन ने मैच विजयी शतकीय पारी खेल डाली। डेविड मिलर ने विलियम्सन को नॉन स्ट्राइकर छोर पर रनआउट करने का सुनहरा मौका गंवाया। वह थ्रो को नहीं पकड़ सके और उन्होंने अपने दाएं पैर से बेल्स गिरा दी।
इससे पहले मिलर ने कोलिन डी ग्रैंडहोम को रनआउट करने का मौका गंवाया जब उनका स्कोर मात्र 14 रन था। मिलर ने ही लेग स्पिनर इमरान ताहिर की गेंद पर ग्रैंडगोम का कैच छोड़ा था। दक्षिण अफ्रीका ने इस मुकाबले में मैच जीतने के जितने मौके गंवाए उसे देखते हुए यह टीम जीत की कतई हकदार नहीं थी।
दक्षिण अफ्रीका का विश्वकप इतिहास ऐसे ही दु:स्वप्न से भरा पड़ा है। 1992 के विश्वकप में पहली बार खेलते हुए दक्षिण अफ्रीका को इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में बारिश ने रुला दिया था। दक्षिण अफ्रीका को 13 गेंदों पर 22 रन की जरुरत थी कि तभी बारिश आ गयी। बारिश रुकने के बाद जब खेल शुरु हुआ तो डकवर्थ लुइस नियम के तहत दक्षिण अफ्रीका को एक गेंद पर 22 रन बनाने थे जो असंभव था।