श्रीनगर, 12 अक्टूबर (वार्ता) पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रो. सैफुद्दीन सोज ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के रोशनी अधिनियम को असंवैधानिक घोषित करने के फैसले तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के आदेश का स्वागत करते हुये कहा कि सरकार ने 20 लाख कनाल भूमि को अपने निजी स्वार्थ के लिये अयोग्य लोगों को मुफ्त में सौंप दिया था।
श्री सोज ने कहा कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल का रोशनी अधिनियम को असंवैधानिक और अवैध करार देना एक ऐतिहासिक फैसला है, जिसके तहत सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये कीमत की 20 लाख कनाल जमीन को अपने निजी स्वार्थ के लिये अयोग्य लोगों को मुफ्त में ही सौंप दिया था।
श्री सोज ने यहां दोपहर को दिये एक बयान में कहा ' मैंने इस समझौते के खिलाफ मजबूती से आवाज उठायी थी, जिसे अब गैर कानूनी और असंवैधानिक घोषित कर दिया गया है।एक बार तत्कालीन राजस्व मंत्री ने मुझे आश्वासन दिया था कि मेरी याचिका को स्वीकार किया जायेगा, लेकिन अफसोस आधिकारिक संरक्षण होने से निजी स्वार्थ इतने मजबूत थे कि इस भूमि को हड़प लिया गया। अब उन पैंतरेबाजों को आगे आकर राज्य के लोगों से माफी मांगनी चाहिए, जिन्होंने चालाकी से गैरकानूनी और असंवैधानिक रूप से भूमि को आवंटित किया था। 'श्री सोज ने इस मामले में अदालत में याचिका दायर करने के लिये जम्मू के वकील अंकुर शर्मा को भी बधायी दी है।
सं जितेन्द्र
वार्ता