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कृषि और श्रम कानून के विरोध में सपा ने ज्ञापन सौंपे

कृषि और श्रम कानून के विरोध में सपा ने ज्ञापन सौंपे

लखनऊ 25 सितम्बर (वार्ता) समाजवादी पार्टी ने हाल ही में संसद में पारित कृषि एवं श्रम कानूनों के विरोध में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा और इन कानूनों को वापस लेने तथा प्रदेश में इन्हें लागू न करने का निर्देश देने का आग्रह किया।

पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि युवा बेरोजगार है, किसान की जमीन पर बड़े-बड़े पूंजीपतियों की नज़र है। संसद में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और चंद उद्योगपतियों के लिए ही कानून बन रहे हैं। भाजपा सरकार अपने चंदा देने वाले पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए पहले किसानों के शोशण का बिल लाई और अब अपने उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए श्रमिक शोषण का एकतरफा बिल लाई है। जिनके लिए बिल भाजपा उनकी तो सुने लेकिन भाजपा तो सत्ता की खुमारी में रायशुमारी की हत्या करने पर तुल गई है।

श्री यादव ने कहा कि भाजपा की कुनीतियों से समाज का हर वर्ग परेशान है। छात्रों की पढ़ाई बाधित है। युवाओं पर लाठियां बरसाई जा रही है। महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं थम नहीं रही है। सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार की रोकथाम नहीं है। सचिवालय के अंदर तक से ठगी की साजिशें पनपती हैं। सरकार बढ़ते अपराधों के आगे बेदम है।

उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार के जनविरोधी कानूनों को लेकर जनता में भारी आक्रोश है। किसान जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के नाम पर जनधन की लूट के अवसर खुल गए हैं। समझ में नहीं आता कि सरकार अपराधियों के खिलाफ है या उनके साथ है। जनता को बुरी तरह निराश करने वाली विकास विरोधी भाजपा सरकार को अब जनता और ज्यादा बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।

लखनऊ में पार्टी जिलाध्यक्ष जयसिंह जयंत और महानगर अध्यक्ष सुशील दीक्षित के नेतृत्व में प्रतिनिधिमण्डल ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की नीतियों से किसान और श्रमिकों के हितों को गहरा आघात लग रहा है। इन नीतियों से कारपोरेट घरानों को ही फायदा होगा जबकि किसानों और श्रमिकों की बदहाली और बढ़ेगी। कृषि और किसान के साथ श्रमिक ही कठिन समय में देश की अर्थ व्यवस्था को सम्हालता है पर अब अन्नदाता को ही हर तरह से उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है। यदि समय रहते कृषि और श्रमिक कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो प्रदेश में खेती बर्बाद हो जाएगी और श्रमिक बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएंगे।

किसानों के सम्बंध में भाजपा सरकारों का रवैया पूर्णतया अन्यायपूर्ण है। वह खेतों से किसानों का मालिकाना हक छीनना चाहती है। इससे एमएसपी सुनिश्चित करने वाली मंडिया धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी। किसानों को फसल का लाभप्रद तो दूर निर्धारित उचित दाम भी नहीं मिलेगा। फसलों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर किए जाने से आढ़तियों और बड़े व्यापारियों को किसानों का शोषण करना आसान हो जाएगा।

प्रदीप

वार्ता

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