बेंगलुरु 11 जनवरी (वार्ता) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को कहा कि स्पेस डॉकिंग प्रयोग (स्पैडेक्स) के तहत अंतरिक्ष में भेजी गए दोनों यान इस इस समय परस्पर 230 मीटर पर स्थिर अवस्था में है और दोनों अंतरिक्ष यान प्रणालियों की स्थिति बिल्कुल ठीक है।
इसरो के अधिकारियों ने शनिवार को इस मिशन की प्रणालियों के ठीक स्थित में होने की पुष्टि की। उन्होंने ने कहा, “230 मीटर की अंतर-उपग्रह दूरी (आईएसडी) पर रोके जाने के बाद, सभी सेंसर का मूल्यांकन किया जा रहा है और अभी तक अंतरिक्ष यान की स्थिति सामान्य है।”
इसरो ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “अंतरिक्ष यानों की प्रणालियाँ सामान्य रूप से काम कर रही हैं, और इष्टतम प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए सेंसर डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि स्पैडेक्स उपग्रह मिलन और डॉकिंग प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की क्षमताओं को बढ़ाता है। आने वाले दिनों में सेंसर मूल्यांकन प्रक्रिया पर और अद्यतन रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि गुरुवार को दोनों अंतरिक्ष यान के बीच अत्यधिक विचलन को सफलतापूर्वक रोकने के बाद, इसरो ने शुक्रवार शाम को बताया कि अंतरिक्ष यान अब 1.5 किमी की दूरी पर हैं और होल्ड मोड पर है।
कल इसरो ने एक्स पर एक अपडेट पोस्ट करते हुए कहा, “अंतरिक्षयान 1.5 किमी की दूरी पर हैं और होल्ड मोड में हैं। कल सुबह तक 500 मीटर की और दूरी तय करने की योजना है।”
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (एसपीएडीएक्स) एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसे दो छोटे उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्ष यानों के मिलन ( डॉकिंग ) और अलग होने (अनडॉकिंग) के लिए आवश्यक तकनीक विकसित करने और प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसरो ने एक स्पष्टीकरण में कहा, “एसपीएडीएक्स अंतरिक्ष डॉकिंग में भारत की क्षमताओं को आगे बढ़ाने में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो उपग्रह सेवा, अंतरिक्ष स्टेशन संचालन और अंतरग्रहीय मिशनों सहित भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है।”
इसरो ने आश्वासन दिया कि दोनों उपग्रह सुरक्षित और सक्रिय रहेंगे। पिछले साल 30 दिसंबर को लॉन्च किए गए स्पैडेक्स मिशन के साथ भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक तैनात करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। यह मिशन, जो स्वदेशी “भारतीय डॉकिंग सिस्टम” का उपयोग करता है, भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं में एक मील का पत्थर साबित हुआ है।
उप्रेती,मनोहर
वार्ता