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राज्य


श्री कुमार ने कहा कि ज्ञान भवन का उद्घाटन चंपारण सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने पर पिछले वर्ष 10 अप्रैल को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों पर आधारित दो दिवसीय विमर्श के दौरान किया गया था। पिछले वर्ष ही 02 अक्टूबर को बापू सभागार का उद्घाटन बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के अभियान की शुरूआत से की गई थी। ज्ञान भवन एवं बापू सभागार की प्रशंसा बाहर के लोग करते हैं। उन्होंने कहा कि तीसरे कृषि रोड मैप की शुरुआत इसी ज्ञान भवन से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी और उन्होंने इस भवन की काफी प्रशंसा की थी। राजगीर कन्वेंशन सेंटर पंच पहाड़ी के निकट बना है, यह भी अद्भुत है। यहां पर केंद्र सरकार के कार्यक्रम, पार्लियामेंट कमेटी की मीटिंग, नालंदा विश्वविद्यालय की शुरूआत जैसे कई कार्यक्रम किए गए हैं और सभी लोगों ने इसकी काफी प्रशंसा की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह बिहार संग्रहालय राष्ट्रीय स्तर का बना है उसकी चर्चा दुनिया में हो रही है। इसका ढांचा भी अपने आप में संग्रहालय का रूप ले रहा है। कुछ दिनों में ही पुलिस भवन का निर्माण पूर्ण हो जाएगा। यह आधुनिक तकनीक से निर्मित बेहतर भवन का प्रतीक होगा। यह भवन भूकंपरोधी और अग्निरोधी है, आठ रिक्टर स्केल के भूकम्प पर भी यह सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि बगल में गंगा पथ बन रहा है। सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र का दृश्य आने वाले समय में और भी अद्भुत लगेगा। राज्य में पुल-पुलियों का निर्माण के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, समाज कल्याण सभी क्षेत्रों में काम किया जा रहा है।
श्री कुमार ने कहा कि उनकी सरकार पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) को विश्वस्तरीय अस्पताल बनाना चाहती हैं। भवन की डिजाइन एवं कार्ययोजना तैयार की जा चुकी है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) का विकास किया गया है। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, चाणक्य लॉ इंस्टीच्यूट, चंद्रगुप्त मैनेजमेंट इन्स्टीच्यूट जैसे कई संस्थान बनाए गए हैं और सभी का नामकरण उन शख्सियतों के अर्थपूर्ण भाव को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है। यहां चाणक्य, चंद्रगुप्त, शून्य का आविष्कार करने वाले आर्यभट्ट रहे हैं। बोधगया में बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ, महावीर का यहीं जन्म हुआ, ज्ञान प्राप्ति हुई एवं यहीं उनका निर्वाण हुआ। आजादी की पहली लड़ाई लड़ने वाले बाबू वीर कुुुंवर सिंह यहीं के योद्धा थे। सौ साल पहले गांधीजी यहां आए थे और जनता को जोड़कर आजादी की लड़ाई को तीस वर्ष के अंदर ही जीत ली।
सूरज उमेश
जारी (वार्ता)
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