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राज्य


श्री कुमार ने कहा कि गरीबों को इलाज के लिये सहायता उपलब्ध कराना एक अति महत्वपूर्ण कार्य है, जिसे अच्छी तरह से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना को बिहार में ट्रस्ट मोड में लागू करने का निर्णय इसलिये लिया गया है ताकि किसी भी परिस्थिति में गरीबों को कोई कठिनाई न हो । उन्होंने कहा कि नवम्बर 2005 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद एक सर्वेक्षण कराया गया था जिससे यह बात सामने आयी कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रतिमाह मात्र 39 मरीज ही इलाज के लिये आते हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवा मुफ्त उपलब्ध कराने की एक नयी योजना की शुरुआत अगस्त 2006 में की जिसका उद्घाटन तत्कालीन उप राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत ने किया था । इस योजना के लागू होने के दो माह के अंदर ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रतिमाह इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर दो हजार हो गयी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र में अब प्रतिमाह 11 हजार मरीज इलाज करा रहे हैं।
श्री कुमार ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना (एसईसीसी) के आधार पर तैयार किये गये लाभार्थियों की सूची के अनुसार गरीबों को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वह सरकारी अस्पतालों में आधारभूत संरचना को विकसित करना चाहते हैं ताकि वहां इलाज कराने वाले मरीजों को बेहतर सुविधा प्राप्त हो सके। इसके लिये सरकार ने कई योजनाएं बनाई है जिसे अब अमली जामा पहनाने की तैयारी चल रही है।
उपाध्याय सूरज
रमेश
जारी वार्ता
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