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भारतीय अर्थव्यवस्था इस वर्ष थोड़ी कमजोर पड़ेगी: आईएमएफ प्रमुख

वाशिंगटन/नयी दिल्ली 11 जनवरी (वार्ता) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने वर्ष 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था के थोड़े कमज़ोर होने का अनुमान व्यक्त किया है।
सुश्री जॉॅर्जीवा ने वर्ष के प्रारंभ में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था थोड़ी कमज़ोर होगी। हालाँकि, उन्होंने इस बारे में कोई व्याख्या नहीं दी तथा कुछ और नहीं कहा।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के सांख्यिकी विभाग ने इसी सप्ताह मंगलवार को अप्रैल-मार्च 2024-25 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बारे में अपने पहले अग्रिम अनुमान में वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष के 8.2 प्रतिशत की तुलना में कम है।
संयुक्त राष्ट्र की इसी सप्ताह जारी एक रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्यवस्था में निवेश, उत्पादकता और मांग के समक्ष चुनौतियों का उल्लेख करते हुए वैश्विक जीडीपी 2025 में पिछले साल के बराबर 2.8 प्रतिशत तथा भारत की वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
आईएमएफ प्रबंध निदेशक ने संवाददाताओं से कहा, “अमेरिका हमारी उम्मीद से काफ़ी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, यूरोपीय संघ कुछ हद तक रुका हुआ है और भारत थोड़ा कमज़ोर है।”
भारत की अर्थव्यवस्था के कमज़ोर होने की संभावना के बावजूद सुश्री जॉर्जीवा को उम्मीद है कि इस साल वैश्विक वृद्धि दर ( पिछले स्तर पर) स्थिर बनी रहेगी, हालाँकि उन्होंने संभावित क्षेत्रीय असमानताओं के बारे में भी चेतावनी दी।
सुश्री जॉर्जीवा ने अन्य देशों के सामने आ रही आर्थिक चुनौतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ब्राजील थोड़ी अधिक मुद्रास्फीति से निपट रहा है, जबकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन अपस्फीति दबाव और लगातार घरेलू मांग के मुद्दों का सामना कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी, “कम आय वाले देश, उनके द्वारा किए जा रहे सभी प्रयासों के बावजूद, ऐसी स्थिति में हैं जहां कोई भी नया झटका उन पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।”
आईएमएफ प्रमुख का अनुमान है कि वर्ष 2025 में को वैश्विक अवस्फीति जारी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली उच्च ब्याज दर की नीति ने विश्व अर्थव्यवस्था को मंदी में नहीं डाला है, इसने बल्कि वांछित परिणाम दिए हैं।
उन्होंने कहा,“उभरते बाजारों की तुलना में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में उपभोक्ताओं संबंधी मुद्रास्फीति तेजी से घट कर लक्ष्य की ओर आ रही है।”
मनोहर, उप्रेती
वार्ता
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