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भारत


बाल अपराध संबंधी कानूनी प्रक्रियाओं पर पुस्तिका जारी

नयी दिल्ली 19 जून (वार्ता) महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गाँधी ने बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों के संबंध में पुलिस के लिए कानूनी प्रक्रियाओं पर आज एक पुस्तिका लांच की जिसकी प्रति देश के हर थाने में उपलब्ध करायी जायेगी ताकि पुलिसकर्मी इन मामलों में उचित कदम उठा सकें।
श्रीमती गाँधी ने यहां एक समारोह में यह पुस्तिका जारी की। इस मौके पर उन्होंने सभी हितधारकों से बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों को रोकने और उनसे निपटने में एकता बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं और बच्चों पर होने वाली हिंसा से मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। प्रत्येक थाने में स्थानीय भाषाओं में यह पुस्तिका सुनिश्चित करने के लिए चिह्नित हितधारकों के साथ महिला और बाल विकास मंत्रालय काम करेगा।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह पुस्तिका बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों के बारे में कानूनों, नियमों, व्यवस्थाओं तथा संबंधित प्रावधानों में एंड यूजर के कौशल को बढ़ाने में औजार साबित होगी।
पुस्तिका बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों के मामले में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया कदम-दर-कदम तय करने में पुलिसकर्मियो को मदद देगी। इसमें विधेयकों और अदालतों की नवीनतम व्यवस्थाओं की भी चर्चा की गई है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) के डॉक्टर पी.एम. नायर ने यह पुस्तिका तैयार की है, जिसे टीआईएसएस के साथ पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) द्वारा प्रकाशित किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने सर्वाधिक संभव तरीके से इस समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक कदम उठाने का निर्णय लिया है। बच्चों के साथ किये जाने वाले अपराधों से पेशेवर दृष्टि से और होशियारी से निपटने में पुलिस एजेंसियों तथा अन्य संगठनों को सशक्त और कौशल संपन्न बनाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
श्रीमती गाँधी ने चाइल्ड लाइन और रेलवे चाइल्ड लाइन द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की विस्तृत चर्चा की। इन सेवाओं से खोये हुये बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने में बहुत सफलता मिली है। बच्चों को अच्छी और बुरी बातों के बारे में संवेदी बनाने के लिए एक लघु वित्त चित्र ‘कोमल’ जारी किया गया है। किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन करके 16 वर्ष की आयु के किशोर को घृणित अपराधों की सुनवाई के लिए वयस्क माना गया है।
भारत में फॉरेन्सिक प्रयोगशालाओं के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष औसतन दो हजार बलात्कार मामलों की जांच के लिए पाँच नयी फॉरेन्सिक प्रयोगशालाएँ स्थापित की जा रही हैं। प्रत्येक थाने में बलात्कार जांच उपकरण होने चाहिये ताकि प्राथमिकता के आधार पर जांच की जा सके। इस विषय को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समक्ष उठाया गया है ताकि बच्चों में जागरूकता बढ़ाने के लिए सभी पाठ्यपुस्तिका के पहले और अंतिम पन्ने पर पॉक्सो संबंधी कानूनों को प्रिंट किया जा सके। उन्होंने स्कूली बच्चों के लिए ई-बॉक्स शिकायत प्रणाली की चर्चा की।
अजीत आशा
वार्ता
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