इलाहाबाद, 11 जुलाई (वार्ता) गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराके विश्व में भारत का नाम ऊंचा करने वाले अंतर्राष्ट्रीय मूछ नर्तक राजेंद्र कुमार तिवारी उर्फ दुकान जी ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अपने लघु संग्रहालय को बचाने के लिए गुहार की है।
मूछ नर्तक दुकान जी ने बताया कि संग्रहालय बचाने के लिए जब कहीं से काेई राह नहीं सूझी तब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अपने जीवनभर की कमाई को बचाने की गुहार की है। दूसरों के लिए महज संग्रहालय होगा लेकिन उसके लिये यह जीवनभर की कमाई है।
दारागंज स्थित महानिर्वाणी पंचायती अखाड़ा के पुराने जर्जर भवन के एक कमरे में दुकान जी ने “छोटा संग्रहालय” बना रखा है। पुराने सामानों का संग्रह करने के शौकीन दुकान जी ने 1993 से एक अनूठा संग्रहालय बना रखा है, लेकिन नगर निगम द्वारा इस भवन को जर्जर घोषित करते हुए ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी कर दिया हैै। जिसके कारण उनके संग्रहालय का अस्तित्व भी खतरे में है। वहीं दूसरी तरफ उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब है।
मूछ नर्तक का कहना है, “इस संग्रहालय में विश्व की सबसे छोटी गीता और कुरान है। उन्होंने बताया कि कि “गीता” उन्हें मुंबई के एक जौहरी और “कुरान” को ईरान के एक मौलवी ने उन्हें भेंट की थी। इसके अलावा उनके संग्रहालय में प्राचीन सिक्के, लालटेन, रेडियो, घड़ियां, कई देशों की नदियों का पानी और पवित्र मक्का का “जमजम” जैसी बहुत सी चीज़े हैं जो कचरे के ढेर में तब्दील हो रही हैं। यहां दाढ़ी बनाने का वह उस्तरा और ब्रश भी मौजूद है जिनसे भगवान दास नाई महाकवि निराला की दाढ़ी बनाया करते थे।”
श्री तिवारी ने बताया कि उनके संग्रहालय में हिन्द महासागर से लेकर अरब सागर और बंगाल की खाडी से लाये गये बालू के नमूने भी उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि माघ और कुंभ मेला के दौरान उनके संग्रहालय में देशी पर्यटकों के अलावा करीब 122 देशों के पर्यटक आ चुके हैं और करी 62 डाक्यूमेन्ट्री भी बना चुकी है। लेकिन मदद के नाम पर न शासन और न/न ही कोई सामाजिक संगठन ही सामने नहीं आ रहा है।
दुकान जी ने अपने मूछ नृत्य की प्रस्तुति ताईवान, बीजिंग और हांगकांग में दी। देश में उन्होंने लखनऊ महोत्सव, सैफई महोत्सव, आगरा ताज महोत्सव, झांसी महोत्सव और इलाहाबाद के त्रिवेणी महोत्सव में प्रस्तुति दी थी। इसके अलावा, दुकान जी ने प्रतिज्ञा और जेलर की डायरी जैसे धारावाहिकों में भी अभिनय किया है।
उन्होंने बताया, “बचपन से ही नाम कमाने की चाहत थी। इसके लिए मैंने मूछ नर्तक बनने की ठानी। बक्शी बांध पर कचरे के ढेर के नजदीक जाकर सांस रोकने का अभ्यास करता था। मूछ नृत्य में दक्ष होने के लिए मैंने अपने सभी दांत उखड़वा दिए।”
दुकान जी ने वर्ष 1994 में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और 1995 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में मूछ नर्तक के तौर पर अपना नाम दर्ज कराया। वह अपनी मूंछों पर जलती मोमबत्ती लगाकर मूछ नृत्य करते हैं।
अखाड़ा परिसर में किराए पर एक छोटे से मकान में एकाकी जीवन बिता रहे दुकान जी ने कहा, “बॉलीवुड से काम के कई प्रस्ताव आए, लेकिन शहर नहीं छोड़ना चाहता था। शहर छोड़ देता तो मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती। शहर के नामी गिरामी लोगों ने सरकार से आर्थिक मदद की सिफारिश करने की बात कही, लेकिन यहां से जाने के बाद सब भूल जाते हैं।”
मूछ नर्तक ने बताया कि कई बार उनकी सहयाता करने के लिए मिशनरी के लोग आये। मिशनरी के लोगों का कहना था कि उन्हें उनका धर्म स्वीकार करना होगा, वह उनकी हर प्रकार से सहायता करेंगे। लेकिन उन्होंने कोई सहायता लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि कोई धर्म परिवर्तन क्यों करता है, अब समझ में आया। अपने से हारने और कहीं से किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिलने के कारण व्यक्ति मजबूर होकर धर्म परिवर्तन की डगर पकड़ता है। सरकार से कोई सहयोग नहीं मिलने पर संग्रहालय को बचाने के लिए धर्म परिवर्तन से कोई गुरेज नहीं होगा।
दुकान जी ने बताया कि मंत्री, सांसद, विधायक एवं अनेक गणमान्य लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट, प्रशस्ति पत्र एवं तमाम मेड़ल देकर सम्मानित किया लेकिन उनके संग्रहालय को सुरक्षा की व्यवस्था करा दें, यही उनकी विनती है। दुकान जी के उत्साह में कोई कमी नहीं है और वह प्रयाग में हर सार्वजनिक समारोह में अपने रंग बिरंगे कपड़े में बढ़ चढ़ के हिस्सा लेते हैं। केंद्र सरकार का स्वच्छ भारत अभियान हो या गंगा सफाई अभियान, दुकान जी इसे बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते।