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लोकरुचि


बदल रही है चंबल घाटी की बयार

बदल रही है चंबल घाटी की बयार

इटावा, 15 अक्टूबर (वार्ता) एक वक्त कुख्यात डाकुओ के आंतक से जूझती रही चंबल घाटी मे बदलाव की बयार नजर आ रही है। देश के नामी हस्तियो ने चंबल घाटी मे तीन दिन बिता कर यहाॅ के लोगो के बीच रह कर जमकर आनंद उठाया ।


       कुख्यात डाकुओ का आंतक हुआ करता था, तब चंबल मे इस तरह से लोगो को आना ना केवल मुश्किल था बल्कि बहुत ही डरावना माना जाता था । लोगो को इस बात का खतरा सताता रहता था कि कही उनके साथ अप्रिय वारदात ना हो जाये। इसी कारण बाहरी लोगो की आवाजाही नही हुआ करती थी लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल चुके है । अब ना तो डाकू है और ना  ही डाकुओ का आंतक है इसी कारण देश के नामी लोगो की आवाजाही शुरू हो गई है  ।

      चंबल के हालात को बदलने में चंबल फाउंडेशन के संस्थापक शाह आलम की पहल को अहम माना जा रहा है । के.आफिस अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के जरिये पांच नदियों के संगम स्थल पर देश के नामी हस्तियों ने शिरकत की । तीन दिनो तक चले इस महोत्सव मे पांच नदियों के संगम पचनद पर कई भाषाओं में अपनी प्रस्तुतियां दे चुके विश्व रिकार्डधारी नामी गायक गजल श्रीनिवास ने कई सैकडो लोगो ने बीच जहां अपनी प्रस्तुति देकर के लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया वही चंबल नदी में पहली दफा आरती और पूजा के आयोजन ने लोगो में एक नए तरह का जनून भर दिया।

       हैदराबाद से चलकर सपत्नीक पहुंचे गजल श्रीनिवास ने चंबल चंबल थीम पर गाना गाकर के ऐसी प्रस्तुति दी जिससे वहाॅ पर मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो गए । इस कार्यक्रम का हिस्सा बने दक्षिण भारतीय सिनेमा के निर्माता-निर्देशक आदित्य ओम चंबल को बेहतर पर्यटन स्थल माना है । उन्होंने चंबल घाटी में विकास की बहुत ही संभावनाओं की ओर भी इशारा किया है।

 एक वक्त कुख्यात डाकुओं के आतंक के चलते चंबल की इस तरह की तस्वीर नहीं दिखाई दिया करती थी जैसी अब नजर आने लगी है । डाकुओं के आतंक के दरम्यान चंबल में लोगो की जान मुश्किल में फंसी रहती थी । किसी भी तरह का आयोजन करने की लोग हिम्मत नही दिखा पाते थे और अगर लोग हिम्मत दिखाते भी थे तो ऐसे आयोजनों को लोगों की सहानुभूति नहीं मिला करती थी लेकिन अब चंबल की तस्वीर बदल चुकी है । जिसका साक्षात प्रमाण चंबल नदी के किनारे हो रहे हैं जंगल में मंगल से स्पष्ट हो रहा है ।

         चंबल मे नीली नीली पानी वाली कल कल बहती बेहद खूबसूरत चंबल नदी तो है ही मिटटी के ऐसे ऐसे पहाड है जिनकी कोई दूसरी बानगी शायद ही देश भर मे कही ओर देखने को मिले । इतना ही नही सैकडो की तादात मे दुर्लभ जलचरो का आशियाना ही है चंबल नदी । जिसमे घडियाल,मगरमच्छ,कछुए,डाल्फिन के अलावा करीब ढाई से अधिक प्रजाति के पक्षी चंबल की खूबसूरती को चार चांद लगाते है।

        विश्व की 150 भाषाओं के गायक डा. गजल श्रीनिवास कहते है कि चंबल की वादियां सचमुच बहुत ही खूबसूरत हैं । चंबल और पचनद की आरती शुरू होना ऐतिहासिक कदम है। कला के विभिन्न माध्यमों को समेटे चंबल घाटी में फिल्म फेस्टिवल होना किसी आश्चर्य के कम नही है । चंबल घाटी में तीन बार आ चुका हूॅ । चंबल फाउंडेशन का मेनिफेस्टो देख चुका हूॅ । चंबल घाटी की बेहतरी के लिए हम कई परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।

फिल्म निर्माता डा.राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि चंबल घाटी अपनी प्राकृतिक एवं औषधीय धरोहर के साथ एक सम्पन्न क्षेत्र है जो फिल्म संस्कृति के सर्वथा अनुकूल है । यह क्षेत्र जिस प्रकार के भौगोलिक स्थिति को अपने भीतर समोये हुए है वह सकारात्मक विचार एवं एकजुटता के संग प्रयत्न किए जाने पर यहाॅ के निवासियों को एक सुनहरा भविष्य प्रदान करने में सक्षम है।

        तेलगू और हिंदी के सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता और निर्देशक आदित्य ओम ने कहा कि चम्बल की अनूठी संस्कृति और विरासत इस देश की अनमोल धरोहर है । फिल्म निर्देशक और एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर यहाॅ की कहानियों और समस्याओं ने हमेशा मुझको झिंझोड़ा है । यहाॅ की भूमि और प्रतिभाओं से रिश्ता और अटूट हुआ । मेरी फिल्म ‘ मैला ‘ की शूटिंग भी इसी के दौरान चम्बल की पृष्ठभूमि पर शुरू की । आशा है कि आने वाले समय में चंबल में पर्यटन और विकास का कार्य और गति पकड़ेगा क्योंकि इस इलाके में इसकी अनंत संभावनाएॅ हैं ।

        फिल्म अभिनेता रफी खान ने कहा कि चम्बल में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में यहां की युवा पीढी को लेकर बहुत संभावनाएं हैं । इसके अलावा यहां की मिट्टी में रची बसी अनगिनत बागियों, क्रांतिकारियों की कहानियों को और चंबल की लोक शैली, गायन, यहां की भाषा, यहां का अक्खडपन, ये सब सिनेमा से अभी दूर है । इसको संजोने और सजाने की जरूरत है । चंबल की खूबसूरती को सिनेमा की माध्यम से विश्व पटल पर लाया जा सकता है।

सं प्रदीप

वार्ता

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