नयी दिल्ली 29 फरवरी (वार्ता) वाहन उद्योग ने बजट को मिलाजुला बताते हुये कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने के सरकार के प्रयास से ग्रामीण भारत में एक साल से कमजोर पड़ी ग्राहकों की धारणा मजबूत होगी और वाहन उद्योग को अत्यावश्यक प्रोत्साहन मिलेगा। वाहन उद्योगों के प्रमुख संगठन सियाम ने कहा कि बजट की सबसे सकारात्मक बात वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा ग्रामीण, कृषि एवं इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को गति देने के लिए की गई घोषणाएँ हैं। उसने कहा “बजट में राजमार्गों और ग्रामीण इलाकों की सड़कों के विकास पर एक समान फोकस किया गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से जुड़ी अटकी परियोजनाओं में 85 प्रतिशत में दुबारा काम शुरू किया गया है। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से वाहन उद्योग के विकास में मदद मिलेगी।” सियाम ने मोटर वाहन कानून में संशोधन कर सड़क परिवहन को यात्री सिग्मेंट में शामिल करने का स्वागत किया है। हाइब्रिड तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए छूट की अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ाने की भी उसने प्रशंसा की है। हालाँकि उसका कहना है कि अनुसंधान एवं विकास पर कर छूट 200 प्रतिशत से घटाकर 01 अप्रैल 2017 से 150 प्रतिशत और 01 अप्रैल 2020 से 100 प्रतिशत करने के प्रस्ताव तथा एल्यूमीनियम, इसके उत्पादों और जस्ते के आयात पर आयात शुल्क बढ़ाये जाने से उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उसने 10 लाख से अधिक की कारों की खरीद पर एक प्रतिशत विलासिता कर तथा अन्य वाहनों पर एक से चार प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर उपकर पर भी चिंता जताई है। लग्जरी वाहन बनाने वाली कंपनी मर्सिडीज-बेंज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक रोलैंड फोल्जर ने कहा, “कृषि क्षेत्र का विकास इस बजट के केन्द्र में रहा है जो भारतीय अर्थव्यवस्था के हित में है। बजट में आधारभूत संरचनात्मक एवं ग्रामीण विकास पर जोर देना सराहनीय है। हालाँकि, लग्जरी वाहनों पर कर बढ़ाने से इस उद्योग को नुकसान पहुँचेगा। हम करों में सुधार की उम्मीद कर रहे थे, ताकि इस क्षेत्र का विकास तेज हो और रोजगार के नये अवसर सृजित हों। यह बजट दीर्घकालीन संदर्भ में वाहन उद्योग के लिए सकारात्मक है, लेकिन तात्कालिक असर प्रतिकूल होगा।” दुपहिया वाहन बनाने वाली कंपनी हीरो साइकिल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पंकज मुंजाल ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “वित्त मंत्री ने बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नये सुधारों को तरजीह दी है। वित्तीय घाटा तय सीमा के भीतर रखने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता सराहनीय है। इसके अलावा कारोबार आसान बनाने के लिए उठाये गये कदम तथा सड़कों के निर्माण पर जोर देना बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में उठाया गया कदम है।” सुभाष अजीत जारी (वार्ता)