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कश्मीर में हड़ताल से जनजीवन प्रभावित

कश्मीर में हड़ताल से जनजीवन प्रभावित

श्रीनगर, 13 फरवरी (वार्ता) एक ओर उच्चतम न्यायालय में इसी सप्ताह संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई होनी है और दूसरी ओर इस मसले पर अलगाववादियों की दो दिनों की हड़ताल के पहले दिन बुधवार को कश्मीर घाटी में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा।

इससे पूर्व कहा गया था कि शीर्ष अदालत बुधवार और गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करेगा। अदालत संविधान के अनुच्छेद 35-ए को चुनौती देने वाली याचिकाआें की सुनवाई कर रहा है। शीर्ष अदालत की आज होने वाली सुनवाई की सूची मेें हालांकि यह मामला शामिल नहीं था। अलगाववादियों के संगठन अनुच्छेद को कमजोर करने वाले कदमों का विरोध कर रहे हैं।

कश्मीर विश्वविद्यालय (केयू) में काम काज पूरी तरह ठप रहा। हड़ताल के कारण वरिष्ठ अधिकारियों समेत कोई कर्मचारी नहीं आया। इस दौरान घाटी के विभिन्न हिस्सों से आये छात्रों ने विश्वविद्यालय बंद रहने के विरोध में प्रदर्शन किया।

पुलिस के मुताबिक श्रीनगर समेत घाटी के किसी भी हिस्से में किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लागू है। उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के मजबूत गढ़ में स्थित जामिया मस्जिद के सभी प्रवेश द्वारों को बंद कर दिया गया है। जामिया मार्केट और इसके आस-पास के इलाकों में सुरक्षा बलों तथा राज्य पुलिस के जवानों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है तथा लोगों को मस्जिद में आने से भी रोका जा रहा है।

पुराने इलाके में विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठान और बाजा बंद हैं। लोगों को इलाके में सड़क के दोनों ओर आने-जाने की इजाजत दी जा रही है। कई मार्गाें पर वाहन नदारद हैं।

नये इलाके और बाहरी इलाकों में स्थिति कुछ अलग नहीं थी। उन इलाकों में भी दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठानें बंद रहीं। सड़कों पर वाहन नहीं चल रहे थे। कुछ स्थानों पर हालांकि निजी वाहन चलते देखे गये। यात्रियों को लेकर कई कैब श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की ओर जाते देखे गये।

इस बीच, कुपवाड़ा, बारामुला, सोपोर और अनंतनाग समेत घाटी के विभिन्न हिस्सों से आये बड़ी संख्या में आये छात्रों ने केयू अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा प्रदर्शन किया। छात्रों ने आरोप लगाया कि हम पैसे खर्च करके बड़ी दूर-दूर से काम से आते हैं और पता चलता है कि विवि के कर्मचारी हड़ताल के कारण नदारद हैं। परिवहन खर्च के अलावा हमारा समय भी जाया जाता है। उन्होंने कहा कि विवि में अधिकारियों की जवाबदेही भी तय नहीं है।

केयू के कई शिक्षकों ने भी छात्रों का समर्थन किया है। दक्षिण कश्मीर में हड़ताल का विशेष प्रभाव है। सरकारी कार्यालयों और बैंकों में कर्मचारियों की अनुपस्थिति कम रहने के कारण कामकाज प्रभावित रहा।

 

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