नयी दिल्ली, 08 अक्टूबर (वार्ता) टोक्यो पैरालंपिक खेलों 2020 में बैडमिंटन एकल वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने कहा है कि जिंदगी में हमारे संघर्ष ही हमें सिखाते हैं कि हम क्या हासिल कर सकते हैं।
भगत ने शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में अपना अनुभव साझा करते हुए कि उन्होंने अपनी जिंदगी में आए संघर्षों से सीखा है कि वह क्या हासिल कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे 2008 बीजिंग ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा के साथ बातचीत ने उन्हें आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद की। उन्होंने कहा, “ यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप कैसे खेलते हैं, महत्वपूर्ण यह है कि आपका आत्मविश्वास कैसा है। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपना मन कैसे बनाते हैं और आगे बढ़ते हैं। ”
भगत ने अपने पड़ोसियों को खेलते देख खेल शुरू किया था। उन्होंने 2006 में प्रतिस्पर्धी पैरा बैडमिंटन में आने से पहले सक्षम खिलाड़ियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा की और आखिरकार वह देश के सर्वश्रेष्ठ पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक के रूप में उभरे। अपने अब तक के करियर में उनके नाम 45 अंतरराष्ट्रीय पदक हैं, जिसमें चार विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण पदक और 2018 एशियाई पैरा खेलों में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक शामिल है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष पहली बार पैरालंपिक में बैडमिंटन को शामिल किया गया था और इस प्रतियाेगिता में स्वर्ण पदक के सबसे लोकप्रिय दावेदार विश्व चैंपियन भगत बने थे। इसके मद्देनजर उन्होंने उच्चस्तरीय खेल खेला और देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए देश के लिए पैरालंपिक 2020 में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने पुरुष बैडमिंटन एकल एसएल3 श्रेणी के फाइनल मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को हरा कर स्वर्ण जीता था। शीर्ष वरीयता प्राप्त भगत, जो एशियाई चैंपियन भी हैं, ने मानसिक दृढ़ता दिखाते हुए 45 मिनट तक चले रोमांचक फाइनल में दूसरी वरीयता प्राप्त बेथेल पर 21-14, 21-17 से जीत हासिल की थी।
दिनेश
वार्ता