हरिद्वार 04 अक्टूबर (वार्ता) राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की जैसे संस्थान केवल शिक्षा का केंद्र नहीं है बल्कि नवाचार और रचनात्मक विचारों के गढ़ भी हैं और यहां से निकले छात्र सामाजिक दायित्व को भी पूरा करें।
श्री कोविंद ने शुक्रवार को यहां आईआईटी रुड़की के 19वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शोध, नवाचार और रचनात्मक विचारों के जरिये राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने और मानवता के समक्ष आ रही चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक समय में हमारी सफलता उद्यमिता और विचारों की संस्कृति विकसित करने पर निर्भर है। हमें नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देना चाहिए।
राष्ट्रपति ने समारोह में नव दीक्षित छात्रों को उपाधियां देकर सम्मनित किया। आईआईटी के अडिटोरिम में आयोजित दीक्षांत समारोह में श्री कोविंद ने छात्र छात्राओ को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की का देश में ही नहीं विदेश में भी विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान है । उन्होंने छात्रों के साथ उनके भविष्य के निर्माण में अपना तन मन धन लगाने वाले अभिभावकों को भी बधाई दी जिनके त्याग के कारण उनके बच्चे आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
श्री कोविंद ने यहां से डिग्री प्राप्त करने वाले ग्रेजुए, पोस्ट ग्रेजुएट एवं पीएचडी धारक छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें भविष्य में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नए-नए शोध करके देश के निर्माण में अपना योगदान देना है।
उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक 50 खरब डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। जिसको पूरा करने में देश के प्रतिभाशाली आईआईटी जैसे संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है। नयी तकनीक एवं प्रयोगों के नवाचारों को विकसित कर हम देश को औेर अधिक मजबूत एवं विकसित बनाने में सहयोग कर सकेते हैं।
उन्होंने शिक्षण संस्थाओं में छात्राओं की अधिक भूमिका सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए कहा की विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में भी छात्र-छात्राओं को अपनी उपस्थिति दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने आईआईटी रुड़की के साथ इसरो का अनुबंध होने पर बधाई देते हुए कहा इससे आपदा जैसे भूकंप से उसके पूर्व भविष्यवाणी होने पर हानि को कम किया जा सकेगा। उन्होंने चंद्रयान मिशन में शामिल वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा चंद्रयान मिशन एक सफल मिशन के रूप में गिना जाएगा ।
उन्होंने कहा कि चन्द्रयान को लेकर उनमें काफी उत्सुकता थी। जिसको लेकर वह इसरो के वैज्ञानिकों के संपर्क में थे। वह भी इस मिशन के साक्षी बनना चाहते थे लेकिन मिशन आगे बढ़ाने पर वह इसको श्री हरिकेाटा में रहकर नहीं देख सके। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने नव दीक्षित छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि छात्र अपने कार्य क्षेत्र में सफल होकर देश एवं समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे देश में जल्द ही नई शिक्षा नीति लागू होगी।
श्री निशंक ने कहा कि यह देश युवाओं को देश है जिनकी प्रतिभा के बल पर भारत विश्वगुरू बनने की औेर अग्रसर है । देश को श्रेष्ठ भारत बनाने में आईआईटी जैसे संस्थानों से निकले छात्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी आईआईटी से पास आउट होने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आईआईटी का योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा उत्तराखंड में आईआईटी जैसे संस्थान है, और आईआईएम और आईआईएम के साथ-साथ कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान यहां पर हैं। जिससे राज्य शिक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है चाहे देश के विकास की बात हो अथवा भूकंप से पूर्व की सूचना हो आईआईटी के वैज्ञानिकों ने हमेशा अपनी श्रेष्ठता साबित की है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि, वह देश के विकास में अपना योगदान दें तथा प्रधानमंत्री द्वारा चलाई गई ‘स्किल इंडिया’ एवं अन्य योजनाओं का लाभ उठाकर अपने साथ-साथ देश के भविष्य को भी बेहतर बनाने का प्रयास करें ।
राष्ट्रपति ने आईआईटी रुड़की दीक्षांत समारोह में 2029 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की। इनमें 1018 स्नातक, 702 पोस्ट ग्रजुएट और 309 पीएचडी डिग्रीधारक शामिल हैं।
श्री काेविंद के दौरे को लेकर जौलीग्रांट हवाई अड्डे से लेकर रुड़की तक सुरक्षा के चाकचौबंद इंतजाम किए गए है। राष्ट्रपति सुबह नौ बजकर 15 मिनट पर वायुसेना के विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे, जिसके बाद वह रुड़की में आयोजित कार्यक्रम के लिए रवाना हुए। जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य समेत तमाम लोगों ने उनका स्वागत किया ।
इसके बाद राष्ट्रपति ने हरिद्वार के कनखल स्थित हरिहर आश्रम में पत्नी के साथ परमरेश्वर महादेव में पूजा अर्चना की।
सं. उप्रेती
वार्ता