नयी दिल्ली, 25 अगस्त (वार्ता) इंडोनेशिया के जकार्ता में चल रहे 18वें एशियाई खेलों में भारतीय कुश्ती टीम के साथ कोच रहे सुजीत मान इस साल दिये जाने वाले द्रोणाचार्य पुरस्कारों की होड़ में सबसे आगे हैं।
भारत के बजरंग पुनिया ने इन खेलों में फ्री स्टाइल के 65 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता और सुजीत इसी फ्री स्टाइल टीम के साथ कोच थे। भारतीय कुश्ती महासंघ, रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड और गुरू हनुमान अखाड़े के द्रोणाचार्य अवार्डी कोच महासिंह राव ने सुजीत का नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिये प्रस्तावित किया है।
सुजीत के नाम का समर्थन ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त, एशियाई खेलों के स्वर्ण विजेता बजरंग, अर्जुन अवार्डी राजीव तोमर, ओलंपियन संदीप तोमर, पवन और विनोद कुमार ने किया है।
40 वर्ष के सुजीत गुरू हनुमान अखाड़े से हैं और साथ ही रेलवे में कोच हैं। उन्होंने 1987 में कुश्ती शुरू की थी और 2007-08 में डिप्लोमा करने के बाद जूनियर टीम के कोच बने थे। वह 2011 में सीनियर टीम के साथ कोच के रूप में जुड़े और तब से अब तक सीनियर कोच के रूप में चले आ रहे हैं।
सुजीत ने कहा,“ कोच के रूप में मेरी जितनी उपलब्धियां और अनुभव हैं उससे मुझे उम्मीद है कि सरकार मुझे इस अवार्ड से मान्यता प्रदान करेगी। मैं देश की राष्ट्रीय टीमों के साथ 20 बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जा चुका हूं और इस बार के एशियाई खेल मेरे पहले एशियाड थे जिसमें बजरंग ने स्वर्ण जीता। मैं 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में भी टीम के साथ कोच था जिसमें सुशील ने स्वर्ण जीता था।”
इस साल के द्रोणाचार्य पुरस्कारों के लिये सुजीत मान के अलावा सत्यवान, मंदीप, वीरेंद्र, रणवीर कुंडू और खलीफा जसराम के नाम भी गये हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ ने जिन चार नामों को द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिये भेजा है उसमें फेडरेशन ने सुजीत का नाम सबसे ऊपर रखा है।
द्रोणाचार्य अवार्डी महासिंह ने सुजीत के लिये कहा,“ वह इस समय कुश्ती के सर्वश्रेष्ठ कोच हैं। उन्होंने कुश्ती में अपना पूरा जीवन लगाया है। उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में तब पदक जीता था जब किसी का पदक नहीं आता था। वह 1998 के एशियाई खेलों में चौथे स्थान पर रहे थे।” राजीव तोमर ने भी कहा कि सुजीत अच्छे पहलवान होने के साथ साथ अच्छे कोच भी हैं और उनका द्रोणाचार्य पुरस्कार पर पूरा हक बनता है।
वर्ष 2014 से 2017 तक लगातार विश्व सीनियर चैंपियनशिप में टीम के साथ कोच के रूप में गये सुजीत ने 2004 के ओलंपिक में हिस्सा लिया था, उन्हें 2002 में अर्जुन पुरस्कार, 2004 में हरियाणा सरकार से भीम अवार्ड और 2005 में रेल मंत्री अवार्ड मिला था। वह 2003 की राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के अलावा सर्वश्रेष्ठ पहलवान भी रहे थे। उन्हें एशिया में चार बार पदक मिल चुके हैं जिनमें एक रजत और तीन कांस्य पदक शामिल हैं।