चंडीगढ़, 22 अक्तूबर (वार्ता) पंजाब विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष और भोलथ से विधायक सुखपाल सिंह ने विधानसभा सदस्यता से दिया अपना इस्तीफा वापस लेते हुए आज आम आदमी पार्टी (आप) को उन्हें अयोग्य करार देने के लंबित मामले को साबित करने की चुनौती दी।
यहां जारी बयान में श्री खेहरा ने कहा कि वह इस्तीफा वापस ले रहे हैं क्योंकि वैसे भी पार्टी ने उन्हें मौखिक रूप से निलंबित किया था और पार्टी से निकाले जाने की सूचना भी उन्हें मौखिक रूप से दी गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तानाशाह की तरह बर्ताव किया था और उन्हें (श्री खेहरा को) पार्टी से निकालते समय पार्टी के संविधान का पालन नहीं किया गया।
श्री खेहरा ने आरोप लगाया कि नशा तस्करी के आरोपों के मामले में विक्रम मजीठिया से माफी मांगकर श्री केजरवाल ने पार्टी को तोड़ दिया।
श्री खेहरा ने कहा कि जब उन्होंने और अन्य ने माफी मांगे जाने का विरोध किया तो श्री केजरीवाल ने बदले के तौर पर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। पहले उन्हें ट्वीट कर विधानसभा में विपक्ष के नेता पद से हटाया गया और फिर पार्टी से निलंबन व निष्कासन की कार्रवाई की गई।
पंजाब एकता पार्टी नेता ने आरोप लगाया कि श्री केजरीवाल ने इसी तरह विधायक कंवरपाल संधू के खिलाफ कार्रवाई की।
श्री खेहरा ने श्री केजरीवाल को चुनौती दी कि निलंबन आदेश प्राप्ति की स्वीकृति दिखाएं।
भोलथ से विधायक ने आरोप लगाया कि श्री केजरवाल के इसी ‘तानाशाह‘ वाले किरदार के कारण पार्टी में प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास, एचएस फूल्का, गुरप्रीत घुग्गी, डॉ़ धरमवीर गांधी जैसे लोग नहीं हैं।
उन्होने दावा कि उनके विधानसभा क्षेत्र से लोगों ने उनसे संपर्क कर इस्तीफा वापस लेने को कहा था क्योंकि वरना अनावश्यक रूप से उपचुनाव होंगे।
महेश विजय
वार्ता