नयी दिल्ली, 09 अगस्त (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) और राज्य क्रिकेट संघों को बड़ी राहत देते हुये गुरूवार को ‘एक राज्य एक मत’ और पदाधिकारियों के लिये ‘कूलिंग’ अवधि की सिफारिश को खारिज करते हुये भारतीय बोर्ड के नये संविधान को मंजूरी दे दी।
उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई में संवैधानिक और आधारभूत सुधारों के लिये लोढा समिति की नियुक्ति की थी जिसने एक राज्य एक वोट नीति और पदाधिकारियों के लिये एक कार्यकाल के बाद कूलिंग अवधि की सिफारिशें की थीं जिसका अधिकतर राज्य संघों ने पुरजोर विरोध किया था। यदि ये सिफारिशें लागू हो जातीं तो देश के क्रिकेट प्रशासन में क्रांतिकारी परिवर्तन आ जाता।
लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिये उच्चतम न्यायालय ने प्रशासकों की समिति गठित की थी जिसने बीसीसीआई के नये संविधान का मसौदा तैयार किया था। लेकिन सर्वाेच्च अदालत ने इन दो महत्वपूर्ण सिफारिशों को दरकिनार करते हुये बीसीसीआई के नये संविधान को अपनी मंजूरी दे दी है। प्रशासकों की समिति (सीअोए) के अध्यक्ष विनोद राय ने इस फैसले का स्वागत किया है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बोर्ड के लिये तैयार किये गये संविधान के मसौदे को कुछ बदलावों के साथ मंजूरी दे दी। अदालत ने साथ ही बीसीसीआई के राज्य सदस्यों को बड़ी राहत देते हुये एक राज्य एक मत की सिफारिश को रद्द कर दिया है और मुंबई, सौराष्ट्र, वडोदरा, गुजरात, विदर्भ, महाराष्ट्र क्रिकेट संघों को स्थायी सदस्यता प्रदान कर दी है। लोढा समिति ने अपनी सिफारिशों में इन क्रिकेट संघों को अपने अपने राज्यों में रोटेशन के आधार पर चलाने की सिफारिश की थी।
राज प्रीति
जारी वार्ता