प्रयागराज,12 जनवरी (वार्ता) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रान्त प्रचारक रमेश ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को समझे बिना भारत को समझना सम्भव नहीं है और यदि हिन्दुतान को समझना है तो पहले स्वामी जी को समझना होगा।
श्री रमेश ने रविवार को यहां सुमंगलम के चांडी ग्राम स्थित परिसर में स्वामी विवेकानंद की जयन्ती के अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि उन्हें देश और युवाओं से काफी प्यार था और उन्होंने युवकों को प्रेरित करने के लिए काफी कुछ कहा और किया भी। उनका मानना था कि विश्व मंच पर भारत की पुनर्प्रतिष्ठा में युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद को समझे बगैर भारत को समझना संम्भव नहीं है। यदि भारत को समझना है तो पहले स्वामी विवेकानंद को अच्छी प्रकार से समझना होगा। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद में मेधा,तर्कशीलता, युवाओं के लिए प्रासंगिक उपदेश जैसी कुछ ऐसी बातें हैं कि युवा उनसे प्रेरणा लेते हैं। उनका कहना था “आप जैसा सोचते हैं, वैसा बन जाते है।” इसका मतलब हम जो कुछ भी हैं वह अपने विचारों की देन हैं। इसलिए इस बात का बहुत ध्यान रखें कि आप क्या सोच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शब्दों का निर्माण विचारों के बाद होता है, विचार जीवित रहते हैं और दूर तक जाते हैं। स्वामी विवेकानंद का कहना था कि “दृढ़ता ही सफलता की कुंजी है।” यदि आप सफल होना चाहते हैं तो आपके अंदर एक जबरदस्त दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए।” 'मैं पूरा समुद्र पी जाऊंगा' या 'मैं जिधर चाहूंगा पहाड़ उधर को ही खिसकेगा', ऐसा कोई दृढ़ आत्मा ही कह सकती है। आपके भीतर ऐसी ही दृढ़ ऊर्जा और इच्छाशक्ति होनी चाहिए। किसी के भीतर ऐसा संकल्प हो और वह कठिन परिश्रम करे तो किसी भी मुश्किल लक्ष्य को भेद सकता है।
संघ प्रांत प्रचारक ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी का विश्वास था कि हर मानव में दिव्यता अंर्तनिहित है। वो तन मन और विचार की दुर्बलता को पाप मानते थे। उनका कहना था कि यदि आप स्वयं पर विश्वास नहीं कर सकते हैं तो आप
भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते हैं।
इस मौके पर विहिप के पूर्व प्रान्त संगठन मनोज श्रीवास्तव ने भी स्वामी विवेकानंद जी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
दिनेश त्यागी
वार्ता