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स्वप्ना ने स्वर्ण कोच को दिया और उनके पैर छुए

स्वप्ना ने स्वर्ण कोच को दिया और उनके पैर छुए

जकार्ता, 01 सितंबर (वार्ता) इंडोनेशिया के जकार्ता में 18वें एशियाई खेलों में महिलाओं की हेप्टाथलन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाली भारत की स्वप्ना बर्मन पदक वितरण समारोह के खत्म होने के बाद सीधे एक दाढ़ी वाले अधेड़ उम्र के आदमी के पास गयीं और अपना स्वर्ण पदक उनके हाथों में देकर उनके पैर छुए।

55 वर्षीय यह आदमी कोई और नहीं बल्कि स्वप्ना के कोच सुभाष सरकार हैं। पीठ पर बैग टांगे सुभाष सरकार पदक को अपनी हथेली पर देखकर भावुक हो गए। इससे चंद मिनट पहले सुभाष अपने कोचिंग करियर के स्वर्णिम क्षणों को साधारण से दिखने वाले अपने फोन में कैद करने की कोशिश कर रहे थे। गले में तिरंगा लपेटे हुए स्वप्ना पोडियम पर शीर्ष पर खड़ीं थीं और राष्ट्रगान की धुन बज रही थी। स्वप्ना और सुभाष दाेनों के लिए यह पल कभी न भुला देने वाले होंगे। एशियाई खेलों की हेप्टाथलन स्पर्धा में भारत का यह पहला पदक है।

पश्चिम बंगाल की 21 वर्षीय स्वप्ना के लिए सोना जीतने की राह उतनी आसान न थी। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे स्वप्ना और उनके कोच सुभाष की सात वर्षों की कड़ी मेहनत है।

हेप्टाथलन स्पर्धा में 6026 के स्कोर के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक जीतने वाली स्वप्ना ने कहा,“सुभाष सर ने मेरी इस उपलब्धि के लिए बहुत त्याग किया है। एशियाई खेल शुरू होने से एक माह पहले वह अपने परिवार से दूर पटियाला के प्रशिक्षण शिविर आ गए और खेल की तैयारियों में मेरी मदद की। बहुत सारे एथलीट उनसे प्रशिक्षण ले रहे थे इसके बावजूद उन्होंने मेरी तैयारियों पर विशेष ध्यान दिया।”

स्वप्ना ने हेप्टाथलन के 100 मीटर में 981 अंक, ऊंची कूद में 1003 अंक, शॉट पुट में 707 अंक, 200 मीटर में 790 अंक, लंबी कूद में 865 अंक, भाला फेंक में 872 अंक और 800 मीटर में 808 अंक हासिल कर यह स्वर्णिम कामयाबी हासिल की। उन्होंने ऊंची कूद और भाला फेंक में पहला स्थान हासिल किया जबकि शॉट पुट और लंबी कूद में वह दूसरे स्थान पर रहीं।

स्वप्ना ने कहा,“मुझे लगता है कि मैंने उन्हें बहुत तनाव भी दिया है। इसके कारण उन्हें डायबटीज भी हो गया है और इसके लिए आंशिक तौर पर मैं जिम्मेदार हूं।”

सुभाष ने हंसते हुए कहा,“स्वप्ना ने वाकई मुझे बहुत परेशान किया है। मुझे याद नहीं कि इन वर्षों में कितनी बार स्वप्ना और मेरे बीच नोकझोंक हुई है।”

कोलकाता में कार्यरत भारतीय खेल प्राधिकरण के कोच सुभाष सरकार ने स्वप्ना को पहली बार 2011 में जलपाईगुड़ी में ऊंची कूद खेलते हुए देखा था। इसके बाद सुभाष ने स्वप्ना को हेप्टाथलन में खेलने के लिए प्रेरित किया।

 

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