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जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए स्वराज आधारित आदिवासी जीवनशैली सर्वश्रेष्ठ

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए स्वराज आधारित आदिवासी जीवनशैली सर्वश्रेष्ठ

बांसवाड़ा 22 सितंबर (वार्ता) राजस्थान के बांसवाड़ा में आयोजित तीन दिवसीय “कृषि एवं आदिवासी स्वराज समागम-2023” का शुक्रवार को समापन हो गया जिसमें जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में आदिवासी संस्कृति और चक्रीय जीवनशैली का पुनर्जीवीकरण सहित अन्य गंभीर विषयों पर गहन चिंतन किया गया और इसके बाद निकले निष्कर्षों को एक आग्रह पत्र के रूप में राज्य सरकार को सौंपा गया।

समापन के आखिरी दिन जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय ने कार्यक्रम में भाग लिया और उन्होंने एक हजार गांवों से लाई गयी मिट्टी का पूजन किया। समुदाय के प्रतिनिधियों ने तीन दिनों तक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में पोषण सुरक्षा के लिए बीज, खाद्य एवं वानस्पतिक विविधता लिए एकीकृत कार्य; जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में सततता के लिए ऊर्जा, जल और मृदा प्रबंधन की दक्षता; जलवायु परिवर्तन कार्यों और संप्रभुता के लिए युवाओं का नेतृत्व निर्माण तथा जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में आदिवासी संस्कृति और चक्रीय जीवनशैली का पुनर्जीवीकरण जैसे गंभीर विषयों पर गहन चिंतन करने के पश्चात निकले निष्कर्षों को एक आग्रह पत्र के रूप में श्री मालवीय को सौंपा।

इस पत्र में कृषक परिवारों की आजीविका एवं पोषण सुरक्षा के लिए परंपरागत तरीकों के माध्यम से स्थानीय बीजो के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को बढ़ावा देना; मिश्रित खेती को प्रोत्साहन देना ; अतिक्रमित चारागाह भूमि को मुक्त करवाना ; मृदा संरक्षण एवं मिट्टी सुधार के लिए विशेष कार्यक्रम चलाना; मृदा जल संरक्षण एवं जल संग्रहण के माध्यम से रबी खेती को बढ़ावा दिया जाये जिससे पलायन की समस्या को दूर किया जाये, पशुपालन, देसी खाद, देसी बीज, स्थानीय उत्पादन, हाट बाजार को पुनः अपनाया जाये जिससे रोज़गार को बढ़ावा मिले , जैविक खेती को बढ़ावा मिले; नरेगा कार्यक्रम के माध्यम से ग्राम वन तथा खाद्य वन की स्थापना; स्थानीय उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करना तथा आदिवासी संस्कृति में कृषि के चक्रीय स्वरुप को पुनर्स्थापित करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करना शामिल है।

समागम में घर का पानी घर में, खेत का पानी खेत में, गाँव का पानी गाँव में बचाना होगा , पानी और मिट्टी दोनों को रोक कर रखना होगा वर्ना खेतों में सिर्फ पत्थर बचेंगे। पानी और मिट्टी बचेगी तभी अच्छा उत्पादन होगा। कम ज़मीन में अच्छी गुणवत्ता का पोषक अनाज कैसे उगाया जाये जिससे हम सब स्वस्थ व निरोगी रहें इसके प्रयास हम सभी को मिल कर करने होंगे।

जोरा

वार्ता

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