पटना 11 दिसंबर (वार्ता) यदि सपने सच्चे हो और आपमें उन्हें पूरा करना का जज़्बा हो तो फिर उन्हें पूरा होने से कुछ भी रोक नहीं सकता। इस बात को साबित कर दिखाया है बॉलीवुड और टीवी के जाने माने अभिनेता के.के गोस्वामी ने। गोस्वामी महज का कद महज 3 फीट नौ इंच है, लेकिन अपने जीवन में संघर्ष करने के बाद उन्होंने बॉलीवुड में जिन ऊंचाईयों को छुआ है, वह बेहद हैरान करने के साथ ही तारीफ करना वाला है। के.के.गोस्वामी पटना फिल्म महोत्सव 2016 में शिरकत करने आये हुये हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर शहर के रहने वाले के.के.गोस्वामी ने कई टीवी सीरियल बेताल पच्चीसी ,जूनियर जी ,विकराल और गबराल ,गुटरू गु ,चक्रवर्ती अशोक सम्राट , संकट मोचन महाबली हनुमान में अपने अभिनय का जौहर दिखाया है । के.के.गोस्वामी अब टीवी और फिल्मी दुनिया के जाने माने नाम बन चुके हैं लेकिन उन्हें अभिनेता बनने की राह में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । के.के गोस्वामी ने “यूनीवार्ता” से विशेष बातचीत में टेलीविजन से अपने बॉलीवुड तक के सफर के बारे में कहा कि वर्ष 1992 में जब वह मुंबई एक अभिनेता बनने का सपना लेकर पहुंचे तभी से उनका संघर्ष शुरू हो गया। उन्होंने बताया कि एक बार उन्हें उनके ही कद-काठी का आदमी मिला जिसने बीयर बार में नौकरी करने की सलाह दी। उसने उन्हें बताया कि वहां नौकरी करने पर उन्हें 500-700 रुपए मिलेंगे और साथ ही अच्छा खाना। उस व्यक्ति की बात मान कर बीयर बार पहुंचे। जब वह अंदर जाने लगे तो बार के वॉचमैन ने उन्हें डंडा मारकर बाहर से ही भगा दिया। यह पल उनकी जिंदगी का वो पल था जब उन्होंने ठान लिया कि अब वह हर हाल में अभिनेता बनकर रहेंगे।”
गोस्वामी ने बताया कि बतौर अभिनेता उन्हें सबसे पहले वर्ष 1995 में प्रदर्शित भोजपुरी फिल्म ‘रखिहा लाज अचरवा के’ में काम करने का अवसर मिला । गोस्वामी ने कहा, “बॉलीवुड में करियर की शुरूआत वर्ष 1997 में प्रदर्शित फिल्म लावारिस से की लेकिन पहचान नहीं बना सके । इसके बाद मुझे वर्ष 1998 में अजय देवगन और काजोल की फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ में काम करने का अवसर मिला जिसके जरिये कुछ हद तक मेरी पहचान बनी। इस बीच मैंने बेताल पचीसी और शक्तिमान जैसे सीरियल भी किये। टीवी सीरियल विकराल और गबराल में काम करने के बाद मुझे अभिनेता के तौर पर पहचान मिली। इसके बाद मुझे टीवी और फिल्म में काम करने के ढे़रो प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये।” अभिनेता ने कहा , “ अब मैं अभिनेता के तौर पर पहचान बना चुका हूँ लेकिन आज भी मेरे छोटे कद के कारण बेटे को शर्मिंदा होना पड़ता है। कद का होना आज भी मेरे लिये एक समस्या ही है क्योंकि आज मैं एक अभिनेता हूं इसलिए लोग मुझे स्वीकारते हैं। जब मैं एक परिचित चेहरा नहीं था तब तक मैं कभी अपने बेटे के साथ उसके स्कूल नहीं जा सका क्योंकि जब भी मैं उनके स्कूल जाता था तो बच्चे मेरा मज़ाक उड़ाते थे जिसके कारण मेरे बेटे को शर्मिंदा होना पड़ता था। मेरे बेटे को शर्मिंदा ना होना पड़े इसलिए मैं अक्सर अपने बेटे के किसी भी स्कूल फंक्शन में अपनी पत्नी को भेजा करता था। लेकिन इन सब चीजों ने मेरे ऊपर बहुत असर डाला और मैनें यह ठान लिया कि मैं यह साबित करके रहूंगा कि आदमी कद से नहीं, हुनर से बड़ा होता है।” महमूद और जॉनी लीवर को आदर्श मानने वाले के.के गोस्वामी ने कहा, “ अपने संघर्ष के दिनों में सप्ताह में सिर्फ दो दिन पूरा खाना खाता और बाकी पांच दिन पानी पीकर बिताया करता। मैं पैसे बचाया करता । मेरी हालत इतनी खराब हो गई थी कि पानी देखकर भी उल्टी आती थी। खाने को इतना तरस गए थे कि सिर्फ एक वक्त अच्छे खाने के लिए बिना पैसों के भी काम करने को तैयार रहते थे। कई बार हौसला टूटा भी, कई बार मन में आया कि वापस बिहार लौट जाएं लेकिन बीयर बार वाली घटना ने उनके दिल और दिमाग पर इतना गहरा असर डाल दिया था कि अब एक्टर बनना ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य बन गया था।” के.के गोस्वामी ने बताया कि उन्होंने टीवी , फिल्म के अलावा रंगमंच पर काफी काम किया है। उन्होंने बताया कि रंगमंच पर काम करने में उन्हें काफी संतुष्टि मिलती है। गोस्वामी ने कहा, “ रंगमंच पर अभिनय करना सबसे कठिन काम है लेकिन दर्शकों से आप सीधे जुड़ पाते हैं । रंगमंच पर आपका अभिनय निखर कर लोगों के पास आता है। मैंने बॉलीवुड के कई सुपरस्टार के साथ काम किया है लेकिन मेरा सपना महानायक अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का है । ”