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कर्तव्यों के साथ की जाए अधिकारों की बात: टंडन

कर्तव्यों के साथ की जाए अधिकारों की बात: टंडन

भोपाल, 26 नवम्बर (वार्ता) मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने आज संविधान दिवस पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा है कि संविधान सबका संरक्षक है। इसलिए कर्तव्यों के साथ अधिकारों की बात होना चाहिये।

श्री टंडन ने कहा कि संविधान में समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति को प्राथमिकता दी गई है। न्याय प्रक्रिया में कमजोर व्यक्ति को त्वरित न्याय प्राप्त हो, इस दिशा में और अधिक संवेदनशीलता के साथ प्रयास किये जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों पर भी विचार किया जाना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीकों में भाषा का भी प्रमुख स्थान है। न्यायालय के निर्णयों की प्रतिलिपि हिन्दी में उपलब्ध कराने पर भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न सेवाओं में आपसी सामंजस्य और समन्वय के अनौपचारिक कार्यक्रमों की पहल की जानी चाहिये। इससे सम-सामयिक सामाजिक समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा।

उन्होंने न्यायपालिका की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि न्यायपालिका द्वारा राम जन्म भूमि विवाद का जो फैसला सुनाया गया है, उससे भारतीय संस्कृति का सम्मानित स्वरूप उभर कर आया है। उन्होंने कहा कि संविधान के सूक्ष्म अध्ययन के प्रति जन-चेतना के प्रसार की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि आज का भारत हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की त्याग और बलिदान का परिणाम है। अलग-अलग भाषा, रहन-सहन और पहनावे जैसी अनेक भिन्नताओं के बावजूद देश का एक स्वरूप हमारे महापुरुषों की देन है। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस ऐसे महापुरूषों का स्मरण करने का अवसर है।

नाग

जारीवार्ता

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