बेंगलुरु, 11 नवंबर (वार्ता) भारतीय पुरुष हॉकी टीम के फॉरवर्ड गुरजंत सिंह ने कहा है कि बायो-बबल में रहना मुश्किल है लेकिन टीम के सहयोगियों ने इसे आसान बना दिया है।
पुरुष हॉकी टीम के खिलाड़ी कोरोना वायरस महामारी के कारण इस वर्ष के अगस्त से बेंगलुरु स्थित एसएआई में बायो-बबल में रह रहे हैं।
वर्ष 2016 में विश्व कप जीतने वाले जूनियर पुरुष हॉकी टीम के सदस्य रहे गुरजंत ने कहा, “प्रतिदिन एक ही दिनचर्या का पालन करते हुये बायो-बबल में रहना आसान नहीं हैं, जहां एक सीमित क्षेत्र से बाहर जाने की अनुमति नहीं है। यह स्थिति किसी भी खिलाड़ी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।”
उन्होंने कहा, “हम टीम के सहयोगियों के बिना ऐसे माहौल में नहीं रह सकते थे। कोचिंग स्टॉफ के समर्थन ने इस स्थिति में रहना आसान बना दिया है वे खुद भी पिछले नौ महीनों से कैंपस से बाहर नहीं गये हैं। ये सभी हमारा परिवार बन गये हैं।”
गुरजंत ने कहा कि वर्तमान समय ने उन्हें अपने सीनियर खिलाड़ियों से सीखने का अवसर दिया है। उन्हें इस बात को समझने का भी मौका मिला है कि खेल के किस पहलू पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “जैसा कि मुख्य कोच ग्राहम रीड कहते हैं, हमें इस समय का अधिकतम उपयोग अपने प्रदर्शन के आत्मनिरीक्षण के लिए करना चाहिए।”
प्रियंका राज
वार्ता