लखनऊ,12 फरवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) प्राप्त होने से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पत्ति सम्बन्धी विवादों में काफी कमी आएगी और साथी इनका उपयोग बैंकों से लोन आदि प्राप्त किये जाने में किया जा सकेगा।
श्री योगी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर स्वामित्व योजना में 1,001 ग्रामों के 1,57,244 भू-स्वामियों को ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) के ऑनलाइन वितरण एवं पूर्णतया ऑनलाइन डिजिटल खसरा प्रारूप का शुभारम्भ के मौके पर ये बाते कही।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए श्री योगी ने कहा कि स्वामित्व योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता, संवेदनशीलता और हर गरीब के लिए उनके मन के भाव को मजबूती प्रदान करने के लिए प्रारम्भ की गयी है। उन्होनंे कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार निरन्तर गरीब आबादी की चिन्ता कर रही है, जो पुश्तों से अपना मकान बनाकर गांव में रहती है, लेकिन उस जमीन की मालिक कभी नहीं बन पाती हैं।
उन्होंने कहा कि स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) प्राप्त होने से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पत्ति सम्बन्धी विवादों में काफी कमी आएगी। इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को अपने गांव के आबादी क्षेत्र में स्थित अपनी सम्पत्तियों (भवन, प्लाट आदि) के प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त होंगे। जिनका उपयोग बैंकों से लोन आदि प्राप्त करने में किया जा सकेगा। आबादी क्षेत्र का प्रारम्भिक डाटा तैयार होने से विकास के लिए सरकारी योजनाएं संचालित किये जाने में भी सुगमता होगी। इस प्रकार स्वामित्व योजना के तहत तैयार अभिलेख ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय तरलता एवं वित्तीय सुदृढ़ता के साथ ही विकास की प्रक्रिया को गति मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश में स्वामित्व योजना के मामले में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग द्वारा किया जा रहा यह कार्य अत्यन्त सराहनीय है। ग्रामीण आबादी के सर्वेक्षण एवं अभिलेख क्रिया के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 82,913 ग्रामों को अधिसूचित किया गया है। वर्तमान सरकार तकनीक का भरपूर उपयोग कर रही है। कोरोना काल खण्ड में भी तकनीक के माध्यम से सरकार ने जरूरतमन्दों को मदद पहुंचायी। इसी प्रकार, स्वामित्व योजना के अन्तर्गत ड्रोन कैमरे के माध्यम से भू-भाग की मैपिंग की जा रही है।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन खसरे के माध्यम से प्रत्येक स्तर पर इसका पर्यवेक्षण किया जा सकेगा, जिससे अभिलेखों में शुद्धता व पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन खसरे में गाटे, फसल व सिंचाई के साधन, दैवीय आपदा तथा कृषि अवशिष्ट का निस्तारण, वृक्षों, गैर कृषि भूमि, लीज, 02 फसली क्षेत्रफल तथा अकृषित भूमि का विवरण अंकित किया जाएगा।
त्यागी
जारी वार्ता