राज्यPosted at: May 17 2024 10:00AM ओडवाड़ा में उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना में प्रशासन कर रहा अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही-कलक्टर
जालोर 17 मई (वार्ता ) राजस्थान के जालौर जिले में आहोर क्षेत्र के ओडवाड़ा में उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना में प्रशासन अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही कर रहा है।
जिला कलक्टर पूजा पार्थ के अनुसार उच्च न्यायालय के निर्णय 16 मार्च 2021 एवं अवमानना याचिका वर्ष 2022 पर पारित आदेश गत वर्ष 21 मार्च एवं अवमानना याचिका 2023 में पारित सात मई की पालना में ग्राम ओडवाड़ा की ओरण भूमि से गुरूवार को अतिक्रमण हटाये गये हैं।
उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही विधिपूर्ण एवं शांतिपूर्वक की गई है। रहवासीय आवास किसी भी प्रकार के अभी तक नहीं हटाये गये है तथा कोई भी परिवार बेघर नही हुआ है। अतिक्रमण हटवाने की कार्यवाही के दौरान महिलाओं एवं बच्चों पर कोई बल प्रयोग नही किया गया है तथा न ही किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार पुलिस बलों द्वारा किया गया है। सभी अतिक्रमण समझाईश कर हटाये गये हैं।
उन्होंने बताया कि प्रशासन द्वारा पूरी संवेदनशीलता रखते हुए उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना में गुरूवार को बाड़ एवं बाउण्ड्री वॉल हटाने की कार्यवाही की गई हैं जिसमें कोई भी आवासीय मकान शामिल नहीं है।
उल्लेखनीय है कि अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही का वहां के लोगों के द्वारा विरोध किया गया। उधर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे गरीब परिवारों से जुड़ा मामला बताते हुए कहा है कि ओडवाड़ा में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 400 से अधिक घरों को तोड़ने के लिए प्रशासन द्वारा बल प्रयोग करना उचित नहीं है।
श्री गहलोत ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि प्रशासन को इन परिवारों को उचित समय देना चाहिए था जिससे वो उसका कानूनी समाधान निकाल पाते। इस विषय को राज्य सरकार एवं प्रशासन मानवीय आधार पर देखे।
श्री गहलोत ने कहा "इस संबंध में मेरी जालोर कलेक्टर से भी बात हुई है। हम इन पीड़ित परिवारों की कानूनी सहायता कर इनको न्याय सुनिश्चित करवाएंगे।" उन्होंने कहा कि पूर्व में भी ऐसे कई मामले हुए हैं जिनमें उच्च या उच्चतम न्यायालयों का फैसला पीड़ित परिवारों के पक्ष में आया था। सीकर के पटवारी का बास गांव में ऐसा प्रकरण हुआ था जिसमें उच्च न्यायालय के एक आदेश में घर तोड़ने का फैसला हुआ परन्तु दूसरे आदेश में इसे गलत माना और पीड़ित परिवारों को हमारी सरकार के समय पट्टे दिए गए। प्रशासन को सभी कानूनी रास्ते पूरे होने का इंतजार करना चाहिए एवं इसके बाद कोई कार्रवाई करनी चाहिए।
जोरा
वार्ता