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असम-मेघालय सीमा समझौता रद्द हो: संगमा

असम-मेघालय सीमा समझौता रद्द हो: संगमा

नयी दिल्ली 26 जुलाई (वार्ता) मेघालय में विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने मंगलवार को केंद्र से काफी समय से लंबित अंतरराज्यीय सीमा विवादों को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के बीच असम-मेघालय सीमा समझौते को रद्द करने की मांग की।

श्री संगमा ने तृणमूल कांग्रेस के अन्य विधायकों एवं सांसदों के साथ पूर्वाेत्तर राज्यों के विभिन्न मुद्दों को लेकर धरना देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा,“हम सीमा विवाद को सुलझाने के लिए असम और मेघालय सरकारों के बीच हुए समझौते पर मेघालय के लोगों की भावनाओं का संज्ञान लेने के लिए केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए विरोध कर रहे हैं।”

इस मुद्दे पर कॉनराड के संगमा के नेतृत्व वाली मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (एमडीए) सरकार पर हमला करते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,“सरकार यह भूल गई है कि अगर लंबे समय से लंबित समस्या को हल करने की आवश्यकता है तो उन्हें सभी को साथ लेना चाहिए।”

उन्होंने कहा,“लेकिन, वर्तमान सरकार ‘बुलडोज़’ करने और थोपने की स्थिति में है। प्रॉक्सी भारतीय जनता पार्टी सरकार एमडीए सरकार द्वारा किया गया समझौता मेघालय के लोगों की भावनाओं और इच्छाओं के खिलाफ है। हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि समझौते को रद्द करो।” उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा समझौता मेघालय के लोगों की भावनाओं को स्वीकार नहीं करता है।

गौरतलब है कि 29 मार्च को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उनके मेघालय समकक्ष कोनराड के संगमा ने दो पूर्वोत्तर राज्यों के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद को हल करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों राज्य लगभग 39 वर्ग किमी में फैले 12 क्षेत्रों में से छह को हल करने पर सहमत हुए थे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में गारो और खासी भाषाओं को शामिल करने की भी मांग की। उन्होंने कहा,“भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में गारो और खासी भाषाओं को मान्यता देना और शामिल करना मेघालय के लोगों की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न अंग है। केंद्र सरकार को हमारी मांग पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।”

संजय अशोक

वार्ता

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