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विश्व व्यापार में मजबूत जगह बनाने के लिए उत्तम व्यवस्था वाले बंदरगाह जरूरी - मोदी

विश्व व्यापार में मजबूत जगह बनाने के लिए उत्तम व्यवस्था वाले बंदरगाह जरूरी - मोदी

गांधीधाम (गुजरात), 22 मई (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि विश्व व्यापार में जगह मजबूत करने के लिए भारत में ‘उत्तम व्यवस्था’ वाले बंदरगाहों का होना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने देश में ऐसी परिवहन व्यवस्था विकसित करने की जरूरत पर भी जोर दिया जिसमें देश भर में आंतरिक माल-सामान की ढुलाई के लिए भी 7500 किलोमीटर लंबे समुद्र तट तथा इससे जुडे विकसित जल मार्गों के सस्ते विकल्प का ही इस्तेमाल हो। श्री मोदी ने आज यहां कंडला बंदरगाह का संचालन करने वालेे कंडला पोर्ट ट्रस्ट के एक कार्यक्रम में 996 करोड रूपये की छह योजनाओं का शिलान्यास करने के बाद अपने संबोधन में कंडला बंदरगाह के बेहतर विकास के लिए इसकी सराहना की तथा इसका नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय कंडला पोर्ट रखने का सुझाव भी वहां मौजूद केंद्रीय जहाजरानी सह परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी को दिया। उन्होंने कहा कि कंडला पोर्ट को ईरान के चाबहार पोर्ट से जोडने के बाद फिलहाल एशिया का यह प्रमुख बंदरगाह विश्व व्यापार में अंगद की तरह अपने पैर जमा लेगा। उन्होंने नये समय में बंदरगाहों के निकट पोर्ट सिटी बनाने की संकल्पना तथा मालवाहक जहाजों के बंदरगाह पर जल्दी सामान लादने अथवा उतारने से जुडे टर्न अराउंड टाइम को कम करने के लिए बेहतर संरचना की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि कंडला जैसे छोटे शहर में बंदरगाह के बेहतर प्रदर्शन के कारण ही 1000 करोड के निवेश वाली परियोजनाएं आ रही हैं। कंडला, जिसने अपने विकास की गति से विशेषज्ञों को आश्चर्य में डाल दिय है, देश के विकास की धुरी बनने के साथ ही यातायात के मामले मे भी अहम भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री ने श्री गडकरी से इस बंदरगाह से जुडने वाली एक सडक को 24 नहीं 18 माह में पूरा करने का आग्रह किया तथा बाबा साहब आंबेडकर के नाम से बनने वाले सम्मेलन केंद्र, जिसका उन्होंने शिलान्यास किया, आकार बढाने का भी आग्रह किया। उन्होंनेे कच्छ में 1998 में आये भयंकर तूफान और इसके बाद 2001 के भयावह भूकंप का जिक्र करते हुए कहा कि इसके बावजूद आज यह देश का सबसे तेजी से विकसित हो रहा जिला बन गया है। श्री मोदी ने कहा कि भारत के सामुद्रिक व्यापार की विरासत हजारों साल पुरानी है। गुजरात के ही लोथल में हजारो साल पहले बंदरगाह पर 84 देशों के झंडे होते थे तथा निकटवर्ती विश्वविद्यालय में 80 से ज्यादा देशों के छात्र पढते थे। वहां मैरीटाईम म्यूजियम बनना चाहिए ताकि दुनिया को भारत की पूर्व की महान सामुद्रिक ताकत की जानकारी मिले। दरियाई जहाज बनाने में भी हम अग्रणी थे। इसे आज फिर से जीवित किया जा सकता है। उन्होंने कंडला बंदरगाह पर बडे पैमाने पर आने वाली लकडी में भी कलात्मक मूल्य संवर्धन कर इसे दुनिया के दशों में भेजने का सुझाव दिया। उन्होंने लोगों से आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर 2022 तक देश के हर किसी से देश को दुनिया सिरमौर बनाने में कुछ न कुछ योगदान करने का आहवान भी इस अवसर पर किया। प्रधानमंत्री ने जिन योजनाओं का शिलान्यास किया उनमें एक सम्मेलन केंद्र, एक 15 किमी लंबा रेलवे ओवर ब्रिज, कंडला बंदरगाह की दो माल ढुलाई संबंधी कार्गो बर्थ, एक पूर्ण स्वचालित उर्वरक ढुलाई प्रणाली तथा दो मोबाइल हार्बर क्रेन शामिल हैं। इस अवसर पर श्री गडकरी ने देश में बंदरगाहों तथा गुजरात में भविष्य की परियोजनाओं के बारे में तथा देश के 12 बडे तथा करीब 200 छोटे और मझौले बंदरगाहों से जुडी छह लाख करोड की सागरमाला परियोजना की प्रगति के बारे में जानकारी दी। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी गुजरात में बंदरगाहों के विकास तथा सबंधित क्षेत्र के लिए राज्य सरकार की ओर से किये जा रहे कार्यों का विवरण दिया। रजनीश वार्ता

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