बाड़मेर 09 अक्टूबर (वार्ता) भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक द्वंद एवं कटुता का प्रभाव चाहे कितना भी रहा हो लेकिन मांगणियार लोक गायकों ने लोक संगीत के जरिए दोनों देशों की सीमाएं हमेशा तोड़ी हैं।
पाकिस्तान गए भारतीय मांगणियार परिवारों ने थार शैली के लोक गीत-संगीत को पाकिस्तान में ना केवल जिन्दा रखा, अपितु उसे दुनिया भर में नई उंचाइयां दीं। पाकिस्तान में एक वक्त हारमोनियम समाप्त सा हो गया था, ऐसे में फिरोज मांगणियार ने हारमोनियम को नया जन्म देकर पाकिस्तान में हारमोनियम को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया।
जैसलमेर के देवीकोट के मूल निवासी फिरोज गुल ने पाकिस्तान में लुप्त हो चुके हारमोनियम कला को पुनर्जीवित कर काफी नाम कमाया। पाकिस्तान में आज फिरोज गुल का हारमोनियम बजाने में कोई सानी नहीं है। पाक की मशहूर लोक गायिका आबदा परवीन के दल के साथ फिरोज देश-विदेश में ख्याति अर्जित कर रहे हैं।
जैसलमेर से पाकिस्तान गये एक परिवार में सन 1961 में संगीत के कोहिनूर ने जन्म लिया। इस कोहिनूर ने, जिसे पाकिस्तान और विदेशों में उस्ताद सफी मोहम्मद फकीर के नाम से जाना जाता हैं, मांगणियार गायकी को पाक में अलग पहचान और ख्याति दिलाई। उनके अलावा अनाब खान, शौकत खान, हयात खान, मोहम्मद रफीक, सच्चु खान, सगीर खान ढोली ने मांगणियार संस्कृति को पाक में नई पहचान दी है।
पाकिस्तान में मारवाड़ी लोक गीतों की जबरदस्त मांग को मांगणियार लोक कलाकार पूरा कर रहे हैं। इन लोक कलाकारों ने पाक में मांगणियार गायकी को नया आयाम प्रदान किया है और मारवाडी लोक गीत-संगीत को पाक में मान-सम्मान दिलाया है। पाकिस्तान में मांगणियार जाति के लोक कलाकारों ने अपनी गायकी से अलग पहचान बना रखी है।
पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के मिटठी, रोहड़ी, गढरा, थारपारकर, उमरकोट, खिंपरो, सांगड आदि जिलों में मांगणियार जाति के लोग निवास करते हैं। पाक में रह रहे मांगणियार मूलतः राजस्थान के जैसलमेर जिले के हैं, जो वर्ष 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध में पलायन कर पाक चले गए थे।
इसके बावजूद लोक गीतों के माध्यम से थार संस्कृति और परम्परा की छटा बिखेरने वाले मांगणियार कलाकारों की पाक में सम्मानजनक स्थिति नहीं थी। पाक के मांगणियार भी राजपूत जाति के यहां यजमानी कर अपना पालन-पोषण करते थे। सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं। सोढा राजपूतों की सिन्ध में जागीरदारी होने के कारण कई मांगणियार परिवार भारत-पाक विभाजन के दौरान पाक में रह गए, तो कई परिवार युद्ध के दौरान पाक चले गए।
भाटी रामसिंह
वार्ता