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बंजारा समाज के ब्रह्मलीन संत बाबा चन्द्रमादास थे कलियुग के दधीच

बंजारा समाज के ब्रह्मलीन संत बाबा चन्द्रमादास थे कलियुग के दधीच

मथुरा एक जून (वार्ता) सर्व समाज के उत्थान के लिए समर्पित महान ब्रम्हलीन संत चन्द्रमादास अपनी दानशीलता के कारण कलियुग के दधीच माने जाते थे।

किसी कवि ने ऐसे संतों के बारे में ठीक ही कहा हैः-

संत कबहुं नहि फल भषै, नदी न संचय नीर।

परमारथ के कारणै, साधुन धरा शरीर।

वैसे तो उनकी गिनती बंजारा समाज के उन महान संतों में होती थी जो बंजारों के उत्थान के लिए समर्पित थे लेकिन उनके पास कभी भी किसी जाति या धर्म का जो कोई भी व्यक्ति मदद के लिए आया उसे उन्होंने निराश नही किया ।यही कारण था कि बंजारा समाज के प्रमुख संत होने के बावजूद सर्व समाज की प्रेरणा के वे श्रोत थे। जाड़ा हो या गर्मी अथवा बरसात एक अंगौछा ही उनकी सम्पत्ति थी।वे उदासीन आश्रम जयसिंहपुरा के महन्त थे। उनकी विशेषता थी कि जो भी उनके पास किसी काम से गया कभी निराश नही लौटा । उनका मौन आशीर्वाद ही चमत्कार था ।

उदासीन आश्रम के वर्तमान महंत हरिशरणानन्द महराज ने बताया कि समूचा उत्तर भारत इस महान संत की छठवीं पुण्य तिथि अपने अपने तरीके से अलग अलग स्थानों में दो जून को मनायेगा। उदासीन आश्रम जयसिंहपुरा मथुरा में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उनके हजारों अनुयायी मथुरा पहुंच चुके है।

उनकी दानशीलता का उदाहरण देते हुए उनके परम प्रिय शिष्य महाराष्ट्र के विधायक हरिभाउ राठौर ने बताया कि उदासीन आश्रम में स्थित बाबा दयाल की समाधि के जीर्णोद्धार के लिए जब उनके शिष्य तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास उन्हे ले गए तो अखिलेश ने समाधि के जीर्णोद्धार के लिए तीन करोड़ देने की घोषणा की। वे इस राशि को सीधे आश्रम को देना चाहते थे लेकिन बाबा चन्द्रमादास ने तत्कालीन मुख्यमंत्री से कहा कि वे किसी सरकारी एजेंसी से ही इसका जीर्णोद्धार करा दें।

पूर्व मुख्यमंत्री यादव उन्हें अपने निवास पर भी ले गए तथा उन्हें एक लाख रूपए की थैली भेंट किया था। बाबा जब पूर्व मुख्यमंत्री के निवास से बाहर निकलकर आए तो ऐसे कई समूह बाबा के पास आए जो अपनी फरियाद लेकर लम्बे समय से मुख्यमंत्री निवास के पास पड़े थे।उन्होंने बाबा से अनुरोध किया कि वे उन्हें भी मुख्यमंत्री से मिलवा दें तथा वे कई दिन से भूखे हैं। बाबा ने उन्हें अखिलेश द्वारा दी गई एक लाख की राशि दे दी और कहा कि इसे आपस में बांटकर इससे वे अपने भोजन आदि की व्यवस्था कर खुद ही मुख्यमंत्री से मिल लें।

बाबा के आशीर्वाद में चमत्कार था यही कारण था कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह एवं विभिन्न प्रदेशों के कई मंत्री, तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री नटवर सिंह समेत कुछ केन्द्रीय मंत्री उनके पास बिना तामझाम के अक्सर आते रहते थे।उन्होंने एक हाथी भी पाल रखा था जो बाबा के हर आदेश को समझकर उसका अनुपालन करता था।

उनकी दानशीलता का एक अन्य उदाहरण देते हुए बाबा के शिष्य हाथरस निवासी सत्य प्रकाश गौतम ने बताया कि बाबा को एक भक्त गुरूदक्षिणा के रूप में एक नई जीप दे गया। कुछ दिनों के बाद उनके एक शिष्य ने उनसे कहा कि चूंकि वे रोज कहीं जाते नही हैं इसलिए यदि वे इस जीप को उन्हें दे देंगे तो वे इसे टैक्सी के रूप में चलाएंगे तथा उनके बच्चों का पालन पोषण हो जाएगा और जब भी महराज को कहीं जाना होगा वे जीप लेकर हाजिर हो जाएंगे। बाबा ने जीप उन्हें दे दी और फिर उसे कभी भी वापस नही मंगाया ।

उनकी दानशीलता का एक और उदाहरण देते हुए श्रीचन्द्र विद्या आश्रम के प्राचार्य विवेक रावत ने बताया कि बाबा के आश्रम में कोई गाय नही थी।उनके एक शिष्य ने एक अच्छी नश्ल की दूध देती हुई गाय उन्हें दी और कहा कि इसके दूध का वे उपयोग करें। लगभग एक महीने के बाद वह शिष्य जब उनके आश्रम में दुबारा आया तो पता चला कि बाबा से उनका कोई गरीब शिष्य गाय यह कहकर ले गया कि वह इससे अपने बच्चों का लालन पालन कर लेगा और नित्य बाबा के लिए दो किलो दूध भेज देगा।

लगभग एक माह के बाद जब गाय देनेवाला शिष्य आश्रम में आया तो उसे पता चला कि गाय को बाबा से कोई ले गया और दूध भी आश्रम में नही आ रहा है।प्राचार्य विवेक रावत के अनुसार बाबा की अंतिम इच्छा के अनुरूप श्रीचन्द्र विद्या आश्रम खोला गया था जिसका संचालन वे स्वयं कर रहे हैं।उनकी दानशीलता के इस प्रकार के दर्जनों उदाहरण मौजूद हैं।बाबा ने सन 1992 में ही कहा था कि अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण को कोई रोक न सकेगा ।उनकी इच्छा के अनुरूप ही 4 जून को अयोध्या में श्रीराम मन्दिर की आधारशिला रखी जा रही है। ऐसे महान संत के कल्याणकारी कार्यो ं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए विभिन्न प्रांत से आए उनके अनुयायियों का उदासीन आश्रम जयसिंहपुरा में आज मेला सा लगा हुआ है।

सं प्रदीप

वार्ता

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