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गांधी जी के आने की खबर से ही किसानों पर दर्ज मामले हुए वापस

गांधी जी के आने की खबर से ही किसानों पर दर्ज मामले हुए वापस

रायपुर 29 सितम्बर(वार्ता)छत्तीसगढ़ के कंडेर में किसानों के सत्याग्रह आन्दोलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आने की खबर मिलते ही अंग्रेज अधिकारियों के पांव फूल गए थे और उन्होने किसानों के खिलाफ पानी चोरी की दर्ज करवाई गई रिपोर्ट को वापस ले लिय़ा था।

अगस्त 1920 में अविभाजित रायपुर जिले कंडेल ग्राम में अंग्रेज सरकार के सिंचाई महकमे ने कंडेल के किसानों पर नहर से पानी चोरी करने का आरोप लगाया था।अगस्त का महीना था, भरपूर वर्षा हो रही थी,और खेतों में पर्याप्त पानी था।फिर भी किसानों पर नहर से पानी चोरी करने का गलत आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।इसके खिलाफ कंडेल में किसानों का सत्याग्रह छोटेलाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में शुरू हुआ।सत्याग्रह को पं. सुंदरलाल शर्मा और पं. नारायणराव मेघावाले भी समर्थन कर रहे थे।

अंग्रेजी हुकूमत ने जबर्दस्ती सिंचाई कर वसूलने के लिए दमन की नीति अपनाई थी। आरोप निराधार थे इसलिए किसान भी टैक्स नहीं देने पर अड़े थे।दमन की नीति के चलते खेती-किसानी के दिनों में किसानों के पशु जब्त कर लिए गए और 4030 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया गया।दोनों ही पक्ष अडिग थे,और कोई झुकने को तैयार नही था।इसी दौरान बालगंगाधर तिलक का निधन हो गया और कांग्रेस की बागडोर महात्मा गांधी के हाथों में आ गई।

अंग्रेजी हुकूमत के दमनकारी रवैये को देखते हुए इस आन्दोलन का नेतृत्व गांधीजी को सौंपने का निश्चय किया गया।पं. सुंदरलाल शर्मा गांधी जी को लेने 02 दिसम्बर को कलकत्ता गए।वे उन्हें लेकर 20 दिसंबर 1920 को रायपुर पहुंचे।गांधीजी के साथ खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता शौकत अली और मुहम्मद अली भी आए।

साहू

जारी.वार्ता

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