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बाघ की मौत का कारण पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा

बाघ की मौत का कारण पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा

अलवर, 09 जून (वार्ता) राजस्थान के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरविंदम तोमर ने कहा है कि सरिस्का में कल बाघ एसटी 16 का आज पोस्टमार्टम किया गया है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही उसकी मौत की वजह का पता चल पाएगा।

श्री तोमर ने आज पत्रकारों से कहा कि कि बाघ एसटी 16 की मौत की वजह कैंसर या सेप्टीसीमिया बीमारी भी हो सकती है क्योंकि टाइगर शारीरिक रूप से कमजोर हो गया था। हालांकि उन्होंने भी बाघ की मौत प्रथम दृष्टया लू से होना माना है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच की जा रही है। दो दिन में जांच रिपोर्ट मिलेगी, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। श्री तोमर ने यह भी माना कि ट्रेंकुलाइज के वक्त कहीं न कहीं लापरवाही रही है और जिसके कारण बाघ की मौत हुई है। सरिस्का में जो भी कमियां हैं उन्हें जांच के बाद दूर किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि बाघ एसटी 16 के एक गांठ थी और जब बाघ को ट्रेंकुलाइज किया उस वक्त डॉक्टरों को उस गांठ को भी देखना चाहिए था। यह डॉक्टरों की लापरवाही रही है। पानी के अभाव में टाइगर की मौत के सवाल पर उन्होंने कहा कि टाइगर जहां मिलता है वही ट्रेंकुलाइज किया जाता है और ऐसी कोई स्थिति पैदा नहीं होती कि उसे पानी के समीप ही ले जाकर उसका उपचार किया जाए। मौका परिस्थिति के अनुसार उसको ट्रेंकुलाइज कर उपचार किया जाता है।

श्री तोमर ने बताया कि सरिस्का की परिस्थितियां कठिन हैं और जो भी सरिस्का में सुधारने की प्रक्रिया होगी उसे पूरा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुछ बाघ ऐसे हैं जो बच्चा पैदा नहीं कर पा रहे हैं, उनके लिए एनटीसीए के अधिकारियों से बातचीत करके उन्हें सरिस्का से स्थानांतरित किया जा सकता है। ऐसे बाघ बाघिन लाये जाएंगे जो वंश वृद्धि के काबिल हों। उन्होंने कहा कि सरिस्का में 20 बाघ बाघिन लाने थे लेकिन अभी तक नौ ही आ पाए हैं। शेष बाघों का पुनर्वास करने की प्रक्रिया भी की जाएगी इसके लिए सरकार से और एनटीसीए से बातचीत की जाएगी कि किस तरीके से सरिस्का में और बाकी बाघ लाए जाएं।

बरेली के डॉक्टर एम. कार्तिकेय करिकरण ने बताया कि मुख्य वन्यजीव अधिकारी के स्टाफ द्वारा जानकारी दी गई थी। उन्होंने बताया कि बाघ एसटी 16 को प्राथमिक उपचार के लिए ट्रेंकुलाइज किया गया। जिसके बाद बाघ एसटी 16 में रिकवरी हुआ। ढाई किलोमीटर चलने के बाद जंगल में चट्टान से सटके बैठ गया, क्योंकि ट्यूमर जैसे किसी घाव के कारण चलने में दिक्कत हो रही थी और वह बैठ गया और उसकी हालत बिगड़ती चली गई। आखिरकार उसने दम तोड़ दिया।

बाघ इस मामले की जांच के लिये सरिस्का अभ्यारण और जिला कलेक्टर के द्वारा जयपुर से मेडिकल टीम को जयपुर से बुलाया गया। चीफ वाइल्ड लाइफ ऑफिसर राजस्थान द्वारा मेडिकल टीम का एक पैनल बनाया। इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, वैटरनरी कॉलेज बीकानेर और उदयपुर से भी मेडिकल विशेषज्ञ बुलाए गए हैं जिनकी मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया गया।

टाइगर एसटी 16 का इलाज करने वाले डॉक्टर अरविंद माथुर ने बताया कि उसके दोनों पैरों में घाव थे और ट्रेंकुलाइज करने के बाद उसमें सुधार हो रहा था और वह करीब ढाई से तीन किलोमीटर वह चला भी, लेकिन पानी उसके समीप नहीं था और संभवत पानी की कमी से उसकी मौत हुई है। ट्रेंकुलाइज की प्रक्रिया एनटीसीए की दिशा निर्देश के हिसाब से होती है, डोज कम और ज्यादा का कोई मतलब नहीं होता। उन्होंने बताया कि ट्रेंकुलाइज के बाद उसके शरीर में सुधार हुआ और वह तीन घंटे बाद मरा है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा कि बाघ ने क्या खाया और कितना दिन का प्यासा था।

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