नयी दिल्ली, 25 जनवरी (वार्ता) लेग ब्रेक गेंदबाजों के अचूक अस्त्र गुगली का जन्म किसी क्रिकेट के मैदान पर नहीं बल्कि बिलियर्ड्स की टेबल पर हुआ था।
क्रिकेट के जानकार और वरिष्ठ खेल पत्रकार धर्मेंद्र पंत ने अपनी किताब “क्रिकेट विज्ञान” में यह दिलचस्प खुलासा किया है। लेखक का कहना है कि यदि गुगली नहीं होती तो शायद महान डॉन ब्रैडमैन का टेस्ट मैचों में बल्लेबाजी का औसत 100 से ऊपर होता।
क्रिकेट इतिहास में क्लेरी ग्रिमेट, रिची बेनो, सुभाष गुप्ते, अनिल कुंबले, शेन वार्न, अब्दुल कादिर, दानेश कनेरिया ने गुगली का इस्तेमाल करके खूब विकेट लिए और वाहवाही लूटी। मौजूदा समय में भारत के युजवेंद्र चहल, पाकिस्तान के यासिर शाह और अफगानिस्तान के राशिद खान गुगली से बल्लेबाजों को चकमा देने का काम कर रहे हैं।
पंत की किताब के अनुसार 1877 में जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट मैच खेला गया था तब क्रिकेट के शब्दकोष में गुगली जैसा कोई शब्द नहीं था। टेस्ट क्रिकेट के जन्म के 20 साल बाद 1897 में इंग्लैंड के आलराउंडर बर्नाड बोेनक्वेट (1877-1936) ने बिलियर्ड्स टेबल पर एक खेल “टि्वस्टी-ट्वोस्टी” खेलते हुए इस रहस्यमयी गेंद की खोज की थी।
यह भी संयोग है कि बोसेनक्वेट अपने करियर के शुरु में मध्यम गति के गेंदबाज थे। उनके बाद गेंदबाजी की इस विद्या को दक्षिण अफ्रीका के जिस गेंदबाज रेगी श्वार्ज (1875-1918) ने आगे बढ़ाया वह भी अपने करियर के शुरु में मध्यम गति की गेंदबाजी करते थे। इंग्लैंड में जन्मी और दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों के हाथों पली-बढ़ी यह विद्या ऑस्ट्रेलिया पहुँचने पर खूब फली-फूली और उसके गेंदबाजों ने इसका खूब उपयोग किया।