नयी दिल्ली, 27 नवंबर (वार्ता) ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन (एआईडीएसओ) के आह्वान पर बुधवार को यहां दसवें अखिल भारतीय छात्र सम्मेलन के पहले दिन खुले अधिवेशन में भगत सिंह अभिलेखागार एवं संसाधन केंद्र के सलाहकार प्रो. चमन लाल ने आरोप लगाया है कि सरकार की नयी शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण की प्रक्रिया को और तेजी से बढ़ा दिया है।
प्रो. चमन लाल ने कहा कि नव निर्माण, चरित्र निर्माण और आजादी आंदोलन के महापुरुषों की विरासत और उनकी संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है। यहां तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में तीन दिवसीय सम्मेलन नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विरोध में आयोजित हुआ है। सम्मेलन के खुले अधिवेशन के मंच को शहीद बिरसा मुंडा को समर्पित किया गया और इसे शहीद बिरसा मुंडा मंच नाम दिया गया। खुले अधिवेशन की शुरुआत संगठन के ध्वज को फहराने के साथ हुई और इसके बाद विभिन्न प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया गया।
प्रदर्शनी का उद्घाटन जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार द्वारा, कला प्रदर्शनी का उद्घाटन डूटा और फेड कूटा की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर नंदिता नारायण द्वारा किया गया और चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन सम्मेलन के लिये बनायी गयी स्वागत समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर दिवेन्दू मैती द्वारा किया गया।
खुले अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. चमन लाल ने अपनी बात रखी। जो भगत सिंह अभिलेखागार एवं संसाधन केंद्र के सलाहकार हैं। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन में पूर्व में हुये छात्र आंदोलनों के इतिहास का जिक्र किया और कहा कि सम्मेलन के प्रति छात्रों और आम नागरिकों का जो उत्साहजनक समर्थन मिला है,
यह शिक्षा की बिगड़ती हुई स्थिति और सरकार की सार्वजनिक शिक्षा को लेकर उदासीनता के प्रति लोगों के गुस्से का इजहार है। जाने-माने इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब का एक वीडियो मैसेज प्रदर्शित किया गया और इसके साथ ही प्राचीन इतिहास पर प्रो. रोमिला थापर के लिखित संदेश का वाचन किया गया।
खुले अधिवेशन के बाद तमाम वाम और जनवादी सोच रखने वाले छात्र संगठनों जैसे आईसा, एआईएसएफ, एआईएसबी, पीएसयू, एआईडीएसओ के प्रतिनिधियों के साथ विशेष सत्र का आयोजन किया गया।
सम्मेलन के पहले दिन का समापन छात्र आंदोलन को तेज करने और छात्र समुदाय और आम जनता को इकट्ठा होकर सार्वजनिक शिक्षा बचाने के आंदोलन को और मजबूत करने की अपील के साथ किया गया। सम्मेलन के दूसरे दिन 28 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ अकादमिक सेमिनार आयोजित किया जायेगा। इसके उपरांत प्रतिनिधि सत्र का आयोजन किया जायेगा।
श्रवण, उप्रेती
वार्ता