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लाॅकडाउन से छटे प्रदूषण ने गर्मी को किया उड़न छू

लाॅकडाउन से छटे प्रदूषण ने गर्मी को किया उड़न छू

इटावा, 04 जून (वार्ता) आमतौर पर हर साल जेठ के महीने में उत्तर प्रदेश समेत देश के तमाम राज्य भीषण गर्मी और लू से परेशान रहते थे लेकिन इस साल मार्च के महीने से जारी लाकडाउन से जहां प्रदूषण के स्तर में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गयी वहीं तापमान में दस डिग्री तक की गिरावट ने पर्यावरणविदों के बीच एक नयी चर्चा को जन्म दे दिया है।

प्रकृति और पर्यावरण के बदले मिजाज से नामचीन पर्यावरणीय बेहद उत्साहित है। भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के संरक्षण अधिकारी डा.राजीव चौहान ने कहा पिछले साल छह मई को इटावा में तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था जो इस साल मात्र 33 डिग्री सेल्सियस ही आंका गया है। गर्मी और लू में हर साल सैकड़ों लोग अपनी जान गंवाते थे जबकि हजारों परिंदे भी गर्मी और प्यास से दम तोड़ देते थे लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश में एक भी जनहानि लू की वजह से तो नहीं हुयी है। कुछ स्थानो पर चमगादड़ की मौते हुयी है लेकिन उसका भी कोई स्पष्ट कारण पता नहीं चल सका है।

उन्होने कहा कि गर्मी कम पड़ने से भूजल स्तर में भी सुधार दर्ज किया जा रहा है। आमतौर पर गर्मी के मौसम में हजारों हैंडपंप जवाब दे जाते थे जबकि सबमर्सिबल और जेट पंप भी नकारा साबित होते थे लेकिन इस साल मई के महीने में बमुश्किल 10 दिन ठीकठाक गर्मी पड़ी जबकि आमतौर पर मौसम खुश्क रहा। यहां तक नौतपा में भी बरसात होने से उसका असर न के बराबर रहा।

डा चौहान ने बताया कि मई में एसी और कूलर घरों के भीतर लोग चलाना शुरु कर दिया करते थे। वह आज केवल पंखों के सहारे ही मोटी चादर ओढ़ कर के नींद पूरी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें रात में गर्मी के बजाय ठंड का एहसास हो रहा है । पिछले एक दशक में संभवत: यह पहला मौका है जब प्रकृति में इतना बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। रात में लगातार तापमान में गिरावट महसूस की जा रही है जिसके लोग घरों में ना तो एसी का इस्तेमाल कर रहे हैं और ना ही कूलर का इस्तेमाल कर रहे हैं।

डा चौहान ने बताया कि लाॅकडाउन का पर्यावरण पर काफी अच्छा प्रभाव पडा है। पर्यावरण स्वच्छ हुआ है और यही कारण हैं कि तापमान में भी कमी आई है । खास बात यह है कि मई के महीने में आंधी आ रही थी तो जून की शुरूआत मे भी इसका असर बरकरार बना हुआ है और अप्रैल हो या मई कुछ अन्तराल पर हल्की बरसात भी हो रही है। यह पर्यावरण पर लाॅकडाउन का सकारात्मक प्रभाव है।

पर्यावरणविद ने कहा कि बेशक लाॅकडाउन ने प्रकृति को आमूल चूल परिवर्तन की ओर मोड़ दिया है। अगर इंसानी जिंदगी को बेहतरी से काटना है तो फिर प्रकृति का संरक्षण बेहद जरूरी है भले ही वो किसी ना किसी रूप मे किया जाये ।

भीषण गर्मी के इस दौर में लाॅकडाउन का लाभ भी दिखाई देने लगा है। मई के महीने में तापमान पिछले वर्षो की तुलना में कम है ।

उन्होने कहा कि तापमान में गिरावट वास्तव में लाकडाउन की देन है। लगभग दो महीने तक सड़कों पर वाहनो की संख्या लगभग नगण्य थी वहीं कारखाने बंद रहने से चिमनियों से निकलता विषैला धुआं भी नदारद रहा। प्रदूषण के घटते स्तर ने तापमान में कमी लाने में मदद की।

पिछले कुछ सालों से तापमान में निरंतर होती बढोत्तरी पर्यावरणविदों के लिये चिंता का सबब बनी हुयी थी। ऐसा लगने लगा था कि तापमान कहीं 50 डिग्री तक न पहुंच जाए लेकिन इसके विपरीत इस बार तापमान पिछले सभी रिकार्ड के उलट बढने के स्थान पर कम रहा है जो कि एक सुखद आश्चर्य है। इस वर्ष कुछ दिनों के अंतराल पर आंधी भी आ रही है और मई के आखिर मे तो कई दफा आंधी और बारिश ने और भी बदलाव किया है।इससे लोगों को न केवल गर्मी से राहत मिली है बल्कि खेती के लिए भी यह मौसम अच्छा माना जा रहा है।

सं प्रदीप

वार्ता

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