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राजस्थान कृषि विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित

राजस्थान कृषि विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित

जयपुर, 18 सितंबर (वार्ता) राज्य विधानसभा में आज राजस्थान कृषि विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक, 2020 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

इस संशोधन के बाद कोई भी व्यक्ति कुलपति के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए तब तक पात्र नहीं होगा जब तक कि वह किसी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में कृषि शिक्षा में आचार्य के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव रखने वाला या किसी प्रतिष्ठित शोध या शैक्षणिक प्रशासनिक संगठन में किसी समकक्ष पद पर 10 वर्ष का अनुभव रखने वाला और सत्यनिष्ठा, नैतिक आचार और संस्थानिक प्रतिबद्धता के उच्चतम स्तर वाला कोई प्रख्यात शिक्षाविद ना हो।

इससे पहले कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर हुई चर्चा के बाद अपने जवाब में श्री कटारिया ने कहा कि यदि कुलाधिपति की राय में कुलपति इस अधिनियम के उपबंधों का क्रियान्वयन करने में जानबूझकर लोप या इंकार करता है या उसमें निहित शक्तियों का दुरूपयोग करता है या यदि कुलाधिपति को लगता है कि कुलपति का पद पर बने रहना विश्वविद्यालय के हित के लिए हानिकर है तो कुलाधिपति राज्य सरकार के परामर्श से ऎसी जांच करने के पश्चात आदेश द्वारा कुलपति को हटा सकेगा।

श्री कटारिया ने कहा कि प्रदेश के पांच कृषि विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों को भरने की अनुमति प्राप्त कर ली गयी है और शीघ्र ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

उन्होंने कहा कि बीकानेर, उदयपुर और जोबनेर कृषि विश्वविद्य़ालयों में सेवानिवृत कार्मिकों की पेंशन संबंधी समस्या के समाधान के लिए वित्त विभाग के प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी गयी है ।

जोरा

वार्ता

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