मनीला 16 जनवरी (वार्ता) नवजात शिशुओं को जल्द से जल्द प्रारंभिक अनिवार्य नवजात देखभाल (ईईएनसी) मुहैया कराकर दो तिहाई जानलेवा संक्रमणों से उनकी रक्षा की जा सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के हालिया अध्ययन के मुताबिक अगर एक नवजात को जन्म के तुरंत बाद ईईएनसी उपलब्ध करायी जाये तो उसे दो तिहाई जानलेवा संक्रमणाें से बचाया जा सकता है। इस देखभाल में मां और नवजात का आलिंगन के जरिये एक-दूसरे की त्वचा से संपर्क भी शामिल है। इससे नवजात की त्वचा में गर्माहट, दुग्धपान में मदद और गर्भनाल की सुरक्षा होती है।
लांसेट जर्नल में प्रकाशित और वियतनाम में किये गये इस अध्ययन के मुताबिक ईईएनसी स्वास्थ्यकर्मियों का कौशल विकास करता है और देखभाल को बढ़ावा देता है। इससे त्वचा से त्वचा का संपर्क, स्तनपान, हाइपोथर्मिया और सेप्सिस में उल्लखनीय कमी दर्ज की जाती है।
ईईसीएन के तहत नवजात को ठीक ढंग से सुखाना, त्वचा से त्वचा संपर्क, धड़कन रुकने पर गर्भनाल को दबाना, गर्भनाल को जीवाणुहीन उपकरण से काटना और नवजात के लार टपकाने और अपना हाथ मुंह में डालने जैसे दूध पीने की इच्छा के संकेत मिलने के तुरंत बाद स्तनपान कराना शामिल है।
अध्ययन में ईईएनसी के बारे में बताये जाने के 12 महीने पहले और बाद नवजातों के जन्म के आंकड़े एकत्रित किये गये जिससे पता चला कि ईईएनसी लागू किये जाने के बाद सेप्सिस के मामलों में दो तिहाई (3.2 प्रतिशत से घटकर 0.9 प्रतिशत) और हाइपोथर्मिया के मामलों में एक चौथाई (5.4 प्रतिशत से 3.9 प्रतिशत) तक की कमी दर्ज की गयी है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इस संक्रमणों से हर दो मिनट में एक नवजात की मौत होती है लेकिन ईईएनसी के पूर्ण क्रियान्वयन से आधी मौतों को रोका जा सकता है।
यामिनी दिनेश
वार्ता