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विकास के अवसर बराबरी से पाना आदिवासी भाई-बहनों का अधिकार-शिवराज

विकास के अवसर बराबरी से पाना आदिवासी भाई-बहनों का अधिकार-शिवराज

भोपाल, 19 सितम्बर (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि उन्होंने बचपन से ही आदिवासी भाई-बहनों की पीड़ा और संघर्ष को देखा है। उनकी स्थिति में सुधार के लिये मन में बचपन से ही तड़प रही है। हमने हमेशा सुनिश्चित किया कि प्रदेश के आदिवासी भाई-बहनों का कभी कोई नुकसान न हो। उनके मान-सम्मान से कोई समझोता न हों।

श्री चौहान 'वनाधिकार उत्सव'को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारी यह विचारधारा है कि जो समाज में सबसे नीचे है,सबसे गरीब है,वही हमारा भगवान है और उसे आगे लाने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यह सरकारी व्यवस्था हर गरीब के साथ न्याय करने और जनता की बेहतर सेवा के लिये है। जीवन जीने के सभी संसाधन और विकास के अवसर बराबरी से पाना आदिवासी भाई-बहनों का अधिकार है।राज्य शासन उन्हें यह अधिकार देने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने वनाधिकार-पत्र वितरित किये तथा वनाधिकार पुस्तिका का विमोचनभी किया। उन्होंने हितग्राहियों से बातचीत भी की।

गरीब कल्याण सप्ताह के अंतर्गतजनजातीय संग्रहालय में आयोजित इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याणमंत्री सुश्री मीना सिंह तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा भी उपस्थित थे। वन मंत्री विजय शाह ने कोरोना से प्रभावित होने के कारण कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा अस्पताल से ही संक्षिप्त सहभागिता की।

श्री चौहान ने कहा कि आदिवासी भाई-बहनों के कल्याण और विकास के लिये राज्य सरकार निरंतर सक्रिय है। सम्पूर्ण प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाया गया है। हमारी कोशिश है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के हर बालक-बालिका को पढ़ाई के सभी मौके मिलें। प्रदेश में आश्रम, शालाएँ, छात्रावास, एकलव्य विद्यालय, बड़ी संख्या में स्थापित किये गए हैं। आदिम जाति कल्याण का बजट 2003-04 में केवल 635 करोड़ था, जो अब बढ़कर 7,384 करोड़ रूपये हो गया है। पिछले 15 साल में ट्रायबल हाई स्कूलों की संख्या में 112प्रतिशत,उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में 81 प्रतिशत, खेल परिसर में 85 प्रतिशत और प्री व पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

राज्य शासन शिक्षा के लिये हरसंभव व्यवस्था कर रहा है। छात्रवृत्ति की प्रक्रिया को सरल किया गया है। छात्रावासों में व्यवस्थाएँ बेहतर व पारदर्शी हों,इसके लिये छात्रावास प्रबंधन में बच्चे एवं पालकों को भागीदार बनाते हुए सतर्कता बढ़ायी गयी। राज्य शासन जल्द ही सीनियर छात्रावास और महाविद्यालयीन छात्रावास भी आरंभ करेगा। प्रदेश के 50 ट्रायबल आदिवासी हाई स्कूलों का हायर सेकण्डरी स्कूलों में उन्नयन किया जायेगा। हमारा प्रयास यह है कि अनुसूचित वर्ग के बच्चे भी कम्प्यूटर सीखें। इसके लिये 33 एकलव्य विद्यालयों में 7 करोड़ 20 लाख रूपये की लागत से आईटी केन्द्र और वीडियो कॉन्फ्रेसिंग कक्ष बनाये जा रहे हैं। विद्यालयीन भवनों के निर्माण के साथ-साथ 50 करोड़ की लागत से 25 नये छात्रावास भवनों का निर्माण जारी है।

स्कूली शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिये शहर जाने वाले ऐसे विद्यार्थी जिन्हें हॉस्टल नहीं मिल पाता उनकी सहायता के लिये किराया उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी गयी है। अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्याथी विदेश में शिक्षा प्राप्त कर सकें,इसके लिये प्रदेश के 50 विद्यार्थियों को प्रति वर्ष छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। इस वर्ग के जीवन को बदलने की हर संभव कोशिश जारी है।आदिवासी बेटे-बेटियों की प्रतिभा तराशने और प्रशिक्षण के लिये 24 आवासीय खेल परिसर बनाये गए हैं।

नाग

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