इटावा , 2 फरवरी (वार्ता) वैटलैंड डे पर उत्तर प्रदेश के इटावा स्थित रामसर साइट मे शामिल सरसईनावर वैटलैंट इलाके मे वन विभाग और पर्यावरणीय संस्था सोसायटी की ओर से भ्रमण करने गये स्कूली बच्चे करीब 200 सारस पक्षी को देख कर गदगद हो गये।
इटावा के पान कुवर इंटरनेशल स्कूल के करीब 100 बच्चो ने दूरबीन के जरिये दूरदराज बैठे प्रवासी और देशी बच्चो को देखा कर आंनद उठाया। जिला प्रभागीय वन अधिकारी राजेश कुमार वर्मा और पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फार कंजरवेशन के महासचिव डा.राजीव चौहान की अगुवाई मे स्कूली बच्चो को कार्यक्रम आयोजित कराया गया है ।
सबसे ज्यादा सारस वाले सरसईनावर वेटलैंड क्षेत्र का दायरा बढ़ने से अब इसकी पहचान देश-दुनिया में और अलग हो गई है । रामसर साइट में शामिल अतंरराष्ट्रीय वेटलैंड बहुत जल्द 60 हेक्टेयर से 161 हेक्टेयर क्षेत्रफल का होगा ।
इटावा में अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड डे पर वन विभाग की तरफ से सरसई नावर स्थित रामशर साइट पक्षी विहार में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया । इस प्रदर्शनी में स्कूली छात्रा छात्राओं को बसों के द्वारा प्रदर्शनी में ले जाकर पक्षियों की प्रजातियों और पर्यावरण के प्रति जागरूक किया गया।
श्री वर्मा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय वैटलैंड डे के अवसर पर सरसईनावर स्थित रामशर साइट पक्षी बिहार में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में कई प्रजाति के पक्षियों की प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी को दिखाने के लिए निजी स्कूल के छात्र छात्राओं को स्कूली बसों के द्वारा बुलवाया गया और उन्हें पक्षियों की प्रजाति और पर्यावरण के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए जागरूक किया गया है। इस प्रदर्शनी में विदेशों से आने वाले प्रवासी पक्षी ब्लैक नेट क्रेन, स्पून बिल, और जलीय पंक्षीयो सारस के बारे में जागरूक किया गया।
सरसईनावर वेटलैंड क्षेत्र में जनवरी में ही किए गए सर्वेक्षण में 243 सारस मिले थे, जिनकी संख्या बढ़कर 400 तक पहुंचने की उम्मीद है । वेटलैंड को एक साल पहले रामसर साइट में शामिल किया गया है । इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह चर्चा में है । अब इसके दिन बहुरने की आस जगी है। 161.277 हेक्टेयर में झील के विस्तार से बेहतरी आएगी ।
सोसायटी फार कंजरवेशन आफ नेचर के सचिव डा.राजीव चौहान बताते हैं कि वर्ष 2004 तक यह झील 100 एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में फैली थी, जो अतिक्रमण के कारण सिकुड़ गई। अब प्रतिवर्ष 35 से अधिक प्रजाति के करीब 10 हजार पक्षी सरसईनावर झील में आते हैं। नवंबर से मार्च के बीच चीन, मंगोलिया, ईरान, अफगानिस्तान से प्रवासी पक्षी आते हैं।
सरसईनावर वेटलैंड को रामसर साइट में शामिल कर लेने से पर्यावरणविद खासे उत्साहित हैं। सईनावर झील मे 1999 की सारस गणना मे 350 सारस पक्षी पाये गये थे जो देश के सबसे अधिक माने गये थे । इसी गणना के बाद से सरसईनावर झील एकाएक सुखिर्यो मे आ गयी थी ।
सारस दुनिया का सबसे बडा उडने वाला पक्षी है, जिसकी कुल 70 प्रतिशत आबादी यूपी में निवास करती है। इसके साथ ही देश के जम्बू काश्मीर, हिमांचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान में भी कहीं कहीं यह निवास करते हैं। वहीं भारत के अलावा सारस नेपाल, पाकिस्तान, चाइना, म्यानमार, कम्बोडिया, थाईलैंड, वियतनाम व आस्ट्रेलिया में भी पाए जाते हैं। सैफई के निकट समान कटर वेटलेंड क्षेत्र पर सारस विश्व में सबसे अधिक संख्या में पाए जाते हैं। यही कारण है कि सैफई में विश्व स्तर की कान्फ्रेंस आयोजित की गई है।
सं प्रदीप
वार्ता