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राज्यपाल को लिखा विधानसभा अध्यक्ष ने पत्र

राज्यपाल को लिखा विधानसभा अध्यक्ष ने पत्र

भाेपाल, 17 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश में सियासी उठापटक के बीच प्रमख संवैधानिक प्रमुखों के बीच पत्राचार का दौर भी चल पड़ा है। आज राज्यपाल लालजी टंडन को विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने बंगलूर में मौजूद कांग्रेस विधायकों के संबंध में पत्र लिखा है।

श्री प्रजापति ने पत्र में 16 कांग्रेस विधायकों को 'लापता' बताते हुए दावा किया है कि इन सदस्यों में से कुछ के परिजनों ने उनकी सुरक्षा के संबंध में चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इन सोलह विधायकों के त्यागपत्र अन्य लोगाें के माध्यम से प्राप्त हुए हैं। इन्हें उनके समक्ष मौजूद रहने के लिए नोटिस जारी किए गए, फिर भी नहीं आए। ये विधायक सदन की सोमवार को हुयी बैठक में भी उपस्थित नहीं हुए।

श्री प्रजापति ने कहा कि वे विधानसभा के प्रमुख होने के नाते इन सदस्यों के 'लापता' होने को लेकर काफी चिंतित हैं। उन्हाेंने सोशल मीडिया में जारी वीडियो और अन्य स्थितियों का हवाला देते आशंका व्यक्त की है कि संबंधित सदस्यों से त्यागपत्र दबाव देकर लिखवाए गए हैं।

श्री प्रजापति ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि वे लापता विधायकों की वापसी सुनिश्चित कराने की दिशा में ठोस कदम उठाकर उनकी (अध्यक्ष) और सदस्यों के परिजनों की चिंता का समाधान करें।

इसके पहले राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को दो बार पत्र लिखकर विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री की ओर से इन दोनों पत्रों के जवाब दिए गए हैं।

दरअसल राज्य की राजनीति में उठापटक का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस के वे 22 विधायक हैं, जिन्होंने विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया है। इनमें से अध्यक्ष ने छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार कर लिए हैं, लेकिन 16 विधायकों के त्यागपत्र का मसला अध्यक्ष के समक्ष लंबित है। जिन छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किए गए हैं, उनमें श्री गोविंद राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी और श्रीमती इमरती देवी शामिल हैं। ये छह विधायक कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे और मुख्यमंत्री ने इन्हें त्यागपत्र स्वीकार होने के पहले बर्खास्त कर दिया था।

ये सभी लगभग 22 विधायक और पूर्व विधायक इन दिनों बंगलूर में हैं। इन्होंने आज बंगलूर में मीडिया के समक्ष आकर कहा है कि उन पर कोई दबाव नहीं है और न ही उन्हें बंधक बनाकर रखा गया है। जिन विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार नहीं किए गए हैं, उनका कहना है कि उनके त्यागपत्र भी उसी आधार पर स्वीकार किए जाएं, जिसके आधार पर छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किए गए हैं। इन विधायकों और पूर्व विधायकों ने कमलनाथ सरकार पर भी अनेक आरोप लगाए हैं।

इन 22 कांग्रेस नेताओं में से लगभग सभी पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं। इन्ही विधायकों की भूमिका पर अब मौजूदा कमलनाथ सरकार की आस टिकी हुयी है।

प्रशांत

वार्ता

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