सीकर 21 मार्च (वार्ता) राजस्थान में शेखावाटी के सीकर जिले के रींगस कस्बे से अठारह किलोमीटर दूर खाटू गांव में विश्व प्रसिद्ध श्याम बाबा का फाल्गुनी सतरंगी लक्खी मेले में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है और 372 वर्ष से झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ का निशान इस खाटू धाम के शिखर पर चढ़ता आ रहा है।
खाटू गांव में शीश के दानी श्याम बाबा का भव्य विशाल मंदिर है। खाटू धाम उत्तरी भारत का ऐसा धार्मिक स्थल है जहां फाल्गुन मास के शुक्ल द्वादशी पर विशाल मेला लगता है। सत्रह से छब्बीस मार्च तक चलने वाले इस फाल्गुनी सतरंगी लक्खी मेले में लाखों श्रद्धालु भक्तों का जन सैलाब उमड़ता है। हालांकि इस बार वैश्विक महामारी कोरोना के चलते मेले में भीड़ एकत्रित नहीं हो इसके लिए व्यवस्थाएं की गई हैं और मंदिर में दर्शन के लिए आने के लिए पहले पंजीयन कराना जरुरी हैं।
जिला प्रशासन ने मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की व्यवस्थाओं के लिए पूरी तैयारियां कर रखी हैं और जगह जगह पुलिसकर्मी एवं अधिकारी व्यवस्थाओं में लगाये गये है। सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं की टीम द्वारा रींगस से लेकर मंदिर तक जगह-जगह श्रद्धालुओं के लिए चाय, पानी, खाने-पीने, फल एवं चिकित्सा आदि की समुचित व्यवस्था भी की गई है वहीं भक्तों के रुकने के लिए सैकड़ो धर्मशालाएं बनी हुई है।
खाटू श्याम मंदिर में एक रोचक घटना के बाद से सूरजगढ़ का प्राचीन निशान इस मंदिर के शिखर पर फहराया जाने लगा है। यह परम्परा 372 वर्ष से अभी तक चली आ रही है। इस बार 373 वा निशान चढ़ाया जाएगा। बताया जा रहा है कि खाटू धाम में विभिन्न स्थानों से निशान लेकर आए भक्तों में पहले अपना-अपना निशान चढ़ाने को लेकर बहस होने लगी, तत्पश्चात सर्वसम्मति से यह तय हुआ कि जो भक्त खाटू मंदिर धाम के लगे ताले को अपनी श्रद्धा एवं भक्ति से केवल मोर पंख से खोलेगा, वह अपना निशान सबसे पहले शिखरबन्द पर चढ़ाएगा। काफी भक्तजनों ने प्रयास किया लेकिन (मोर छड़ी) मोर पंख से कोई ताला नहीं खोल पाया। आखिर में भक्त गोवर्धन दास ने अपने शिष्य मंगलाराम अहिर को मोर छड़ी से ताला खोलने का आदेश दिया। मंगलाराम ने अपने गुरु के आदेश पर मंदिर के गेट पर लगे ताले को मोर छड़ी से छूने पर ताला खुल गया। इसके बाद 372 वर्ष से ही अभी तक परंपरानुसार सूरजगढ़ का प्राचीन निशान मंदिर के शिखरबंद पर चढ़ाया जाता है। इस बार 373वां निशान चढ़ाया जाएगा। यह प्राचीन निशान ग्यारह फुट लंबा एवं नौ फुट चौड़ा होता है। इस सफेद ध्वज पर नीले घोड़े पर सवार श्याम बाबा का चित्र बना होता है।
सूरजगढ़ के प्राचीन निशान के वंशजो में अलग अलग होने से कुछ समय से दो निशान पदयात्रा खाटू धाम जाती है और दोनों के निशान मंदिर के शिखरबन्द पर खाटू श्याम मंदिर कमेटी द्वारा चढ़वाएं जाते है। छठ को भक्त हजारीलाल सैनी एवं सप्तमी को भक्त मनोहर लाल सैनी सूरजगढ़ से खाटू धाम के लिए निशान लेकर पदयात्रा के रूप में रवाना होते है। पदयात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है। पदयात्री निशान चढ़ाने के बाद वापस सूरजगढ़ तक पैदल ही जाते है।
जोशी जोरा
वार्ता